लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में कम्प्यूटर शिक्षकों ने मानदेय और पूर्ण शिक्षक का दर्जा दिए जाने की मांग की। जिसको लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पर धरना-प्रदर्शन करने के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव किया। अनुदेशकों ने सड़क जाम कर जोरदार प्रदर्शन कर नारेबाजी भी की।
जब सड़क पर लंबा जाम लग गया तो पुलिस ने उन्हें खदेड़कर भगाया। इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई। माध्यमिक कम्प्यूटर अनुदेशक एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष सजदा पंवार ने बताया प्रदेश के राजकीय/अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 4000 कम्प्यूटर अनुदेशक कार्यरत थे, जिनकी सेवाएं 2 वर्ष पूर्व समाप्त कर दी गईं। इस कारण कम्प्यूटर अनुदेशक जहां बेरोजगारी और भुखमरी का दंश झेल रहे हैं, वहीं छात्रों को कम्प्यूटर की शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
उन्होंने बताया कि माध्यमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर विषय की मान्यता सन 2002 में प्रदान की गई है। उसके बाद भी कम्प्यूटर शिक्षकों को की सेवा समाप्त कर दी गई।
पंवार ने कहा कि कई बार कम्प्यूटर अनुदेशक धरने के माध्यम से अपनी समस्याओं और मांगों को सरकार तक पहुंचाता रहा है। सितंबर 2015 में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों का निश्चित मानदेय देने पर सैद्धांतिक सहमति दी थी, लेकिन विभागीय कार्यवाही पूर्ण न होने के कारण कम्प्यूटर अनुदेशकों को फिर संघर्ष करने पर मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा, “जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।”
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जब सड़क पर लंबा जाम लग गया तो पुलिस ने उन्हें खदेड़कर भगाया। इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हुई। माध्यमिक कम्प्यूटर अनुदेशक एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष सजदा पंवार ने बताया प्रदेश के राजकीय/अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 4000 कम्प्यूटर अनुदेशक कार्यरत थे, जिनकी सेवाएं 2 वर्ष पूर्व समाप्त कर दी गईं। इस कारण कम्प्यूटर अनुदेशक जहां बेरोजगारी और भुखमरी का दंश झेल रहे हैं, वहीं छात्रों को कम्प्यूटर की शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
उन्होंने बताया कि माध्यमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर विषय की मान्यता सन 2002 में प्रदान की गई है। उसके बाद भी कम्प्यूटर शिक्षकों को की सेवा समाप्त कर दी गई।
पंवार ने कहा कि कई बार कम्प्यूटर अनुदेशक धरने के माध्यम से अपनी समस्याओं और मांगों को सरकार तक पहुंचाता रहा है। सितंबर 2015 में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों का निश्चित मानदेय देने पर सैद्धांतिक सहमति दी थी, लेकिन विभागीय कार्यवाही पूर्ण न होने के कारण कम्प्यूटर अनुदेशकों को फिर संघर्ष करने पर मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा, “जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।”
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