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शिक्षामित्रो केस पर सुप्रीमकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता जज साहब ने दी यह हिदायत : हिमांशु राणा

पिछली बार कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता को कहा गया :-
मिस्टर गौरव भाटिया जी आपने तो उत्तरप्रदेश की सड़कों पर दंगे की नौबत ला दी थी , मैं उसका बचाव कर रहा हूँ अन्यथा हाई कोर्ट का डिसिशन सेट अ साइड नहीं हो सकता । 

आप 11 जुलाई को पुनः तैयारी के साथ आइये ।
12 फरवरी 2016 को माननीय न्यायाधीश कलीफुल्ला जी ने भी कुछ ऐसी ही टिप्पणी की थी कि , "क्या है ये अगर नोटिस इशू न हुई होती तो आज उठाकर फेंक दिया जाता । "
शिक्षा मित्र केस पर बारीकी से अध्यनन माननीय न्यायाधीश दीपक मिश्रा जी के द्वारा किया जा रहा है जो कि उत्तरप्रदेश में इमरजेंसी वाले हालात उत्पन्न नहीं होने देना चाहते हैं वरन उत्तरप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने और अनुच्छेद 21 (a) की रक्षा अब स्वयं उनके द्वारा दिल्ली में बैठकर की जा रही है । सरकारी अधिवक्ता विजय बहादुर सिंह जी के द्वारा याचियों को एड होक पर रखने की बात को शिक्षा मित्र केस के चलते स्वीकारना और शिक्षा मित्रों के विकल्प के साथ-साथ शिक्षा मित्रों के भविष्य के लिए कोई विकल्प न होना समाजवादी सरकार को अब सीधे कठघरे में लाता है क्योंकि 2 नवंबर को न्यायमूर्ति मिश्रा जी के द्वारा की गयी टिप्पणी कि मैं योग्य और अयोग्य दोनों के भविष्य के लिए कंसर्न हूँ कहीं न कहीं शिक्षा मित्र खेमे के लिए सुखद है परंतु एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता को न्यायाधीश मिश्रा जी के लिए भी लांगना मुश्किल है , बरहाल आज मेरे द्वारा लिखी गई बात सत्य हो मैं ये ही चाहता हूँ जो मुझे लगता है कि हाँ ऐसा होगा :-
माननीय न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा जी अनुच्छेद 142 का उपयोग करके शिक्षा मित्रों को शिक्षा मित्र पद पर रिवर्ट करके उनका मानदेय केंद्र और राज्य सरकार से कोम्प्रोमाईज़ कराके बढ़वा सकते हैं , ये तब होगा जब उनका ह्रदय न्याय करने वाले दिन शिक्षा मित्र खेमे की तरफ झुकाव पर होगा , हालांकि फैसले दिल से नहीं होते हैं तथ्यों पर होते हैं पर मेरी ऐसी रीडिंग है केस को लेकर , हाँ एक कंडीशन ओर है इसमें कॉन्ट्रोवर्सी बगल में बैठे न्यायाधीश ने की तो मामला संविधान पीठ में जा सकता है ।
टीईटी उत्तीर्ण शिक्षा मित्र अब उन शिक्षा मित्रों के कारण लपेटे में आएँगे जो टीईटी से अच्छी फांसी चाह रहे थे क्योंकि माननीय न्यायमूर्ति धनञ्जय चंद्रचूड़ जी का फैसला लागू शिक्षा मित्रों के समायोजन पर है नाकि टीईटी और नॉन टीईटी पर जिसमे इनका 2009 से पहले कोई अपॉइंटमेंट न होना लिखा गया है , हाँ अगर वर्स्ट केस में दूरस्थ बीटीसी की इनकी ट्रेनिंग बच जाती है तो टीईटी उत्तीर्ण शिक्षा मित्रों को अभी 30000 का मोह त्याग कर याची लाभ के अंतर्गत आ जाना चाहिए नहीं तो ये पढ़ना अति आवश्यक है :-
Irregular appointment cant be regularise if it is illegal
जो कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ जी 12 सितम्बर 2015 को कर चुके हैं।
Irregular appointment can be regularise if it is legal
जो कि न्यायमूर्ति मिश्रा जी कर रहे हैं ।
बाकी दोनों न्यायमूर्ति की नाम राशि एक है तो भविष्य में देखते हैं इस धारावाहिक में होता क्या है ?
हर हर महादेव
आपका
हिमांशु राणा
टीईटी 2011 उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा , उत्तरप्रदेश
कृपा करके इस पोस्ट को सेव कर लें।Sponsored links :
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