राज्य ब्यूरो, लखनऊ : पौने दो
लाख शिक्षामित्रों के आंदोलन से बेचैन राज्य सरकार उनके लिए अध्यापक
पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित करने के लिए केंद्र सरकार से और समय दिए
जाने का अनुरोध कर सकती है। शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने की राह
में आड़े आए हाईकोर्ट के आदेश की आपत्तियों से निपटने के लिए शासन स्तर पर
विचार मंथन हो रहा है।
हालांकि राज्य सरकार शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध करार
देने वाले हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही निर्णायक कदम उठाएगी।
हाईकोर्ट के बहुप्रतीक्षित फैसले का इंतजार गुरुवार को भी होता रहा।
शिक्षामित्र, बेसिक शिक्षा विभाग और शासन के अधिकारी, सभी अदालत के आदेश की
प्रति के लिए बेसब्री से प्रतीक्षारत थे, लेकिन कोर्ट का आदेश नहीं
प्राप्त हुआ।
चूंकि हाईकोर्ट ने मुख्य रूप से शिक्षामित्रों को बगैर टीईटी
उत्तीर्ण किए शिक्षक बनाए जाने पर आपत्ति की है, इसलिए शासन स्तर पर विचार
हो रहा है कि शिक्षामित्रों के लिए टीईटी आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय
अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से और समय मांगा जाए। दिक्कत यह है कि
कोर्ट ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा विधि के जरिये दिए गए दो वर्षीय
बीटीसी प्रशिक्षण को भी अवैध ठहरा दिया है।
लिहाजा, शासन इस मसले में रणनीति को अंतिम रूप देने से पहले
अदालत के फैसले का गहनता से अध्ययन करना चाहता है। उधर, राज्य सरकार देश के
कुछ अन्य राज्यों में पैरा टीचर्स को शिक्षक बनाए जाने के आदेश और
प्रक्रिया का भी अध्ययन करेगी।