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TET में टूटेगा अभ्यर्थियों का रिकार्ड

दो साल से तारीख का इंतजार कर रही राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2015 में अभ्यर्थियों का रिकार्ड बनेगा। इस बार लगभग पंद्रह लाख आवेदन की संभावना जताई जा रही है। प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के बड़ी संख्या में पद रिक्त होने की वजह से अभ्यर्थियों में इस परीक्षा का आकर्षण अधिक है।
अगली भर्तियों के लिए यदि सरकार ने नियमावली में बदलाव नहीं किया तो टीईटी ही चयन का आधार भी हो सकती है।
वैसे तो राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा साल में दो बार आयोजित कराने का प्रावधान है लेकिन प्रदेश में यह साल में एक बार भी नियमित रूप से आयोजित नहीं हो पा रही है। पहली बार टीईटी 2001 में आयोजित हुई थी जो अनियमितताओं और तमाम तरह के विवादों की वजह से अधिक चर्चित रही। इस परीक्षा में 10 लाख दो हजार 909 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था लेकिन पांच लाख 86 हजार के आवेदन ही वैध पाए गए थे। इसमें भी महज तीन लाख 22 हजार ही परीक्षा में बैठे थे और लगभग सवा दो लाख अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था। बता दें कि इस परीक्षा में खुलकर पैसे लेकर पास कराने के आरोप लगे थे और इसी आरोप में तत्कालीन शिक्षा निदेशक संजय मोहन को जेल भी जाना पड़ा था। यह परीक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कराई थी। इसके बाद 2012 में परीक्षा न हो सकी। माध्यमिक शिक्षा परिषद टीईटी को लेकर विवादों में घिरा हुआ था इसलिए इस परीक्षा की जिम्मेदारी परीक्षा नियामक प्राधिकारी को सौंपी गई। 2013 में इसका विज्ञापन जारी हुआ और लगभग नौ लाख अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया। इसमें भी परीक्षा में सात लाख 22 हजार अभ्यर्थी ही बैठे। टीईटी-2013 में एक लाख दो हजार 755 अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण हुए थे। राहत की बात यही रही कि इस बार परीक्षा पर विवादों का साया नहीं पड़ा। सवालों को लेकर आपत्तियों की बाढ़ जरूर आई लेकिन परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने उनका निस्तारण कर दिया। इस बार यानी टीईटी-2015 में इसलिए भी अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि माना जा रहा है कि 2017 के चुनाव से पहले सपा सरकार प्राथमिक शिक्षकों के सभी पद भरने का प्रयास करेगी। इसके लिए टीईटी पास होना अनिवार्य है। बीते ढाई साल से यह परीक्षा नहीं हो पाई है। इसलिए भी अभ्यर्थियों की संख्या अधिक रहेगी और यह आंकड़ा पंद्रह लाख तक पहुंच सकता है।

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