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एक से ज्यादा कॉलेज में नहीं पढ़ा पाएंगे शिक्षक

लखनऊ। एक साथ कई कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के गोरखधंधे पर अब नकेल कसेगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2016-17 से उच्च शिक्षण संस्थाओं के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचई) के वेबपोर्टल पर शिक्षकों का पूरा ब्योरा आधार नंबर सहित दर्ज कराएंगे। इस व्यवस्था को अक्टूबर से लागू करने की योजना है।

सभी विश्वविद्यालयों, सरकारी सहायता प्राप्त व स्ववित्त पोषित महाविद्यालयों, इंजीनियरिग, मेडिकल व नर्सिंग कॉलेजों, पॉलीटेक्निक, बीटीसी व एग्रीकल्चर कॉलेजों को इसका पालन करना होगा।
अभी तक उच्च शिक्षण संस्थाएं एआइएसएचई के वेब पोर्टल पर सिर्फ शिक्षकों की संख्या दर्ज कराती थीं। इससे यह पता नहीं चल पाता था कि कौन शिक्षक किस कॉलेज में पढ़ा रहा है। इसका फायदा उठाते हुए बड़ी संख्या में शिक्षक एक साथ कई कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं।
यह मुद्दा कई बार कुलपति सम्मेलनों में भी उठा। इस गोरखधंधे पर रोक लगाने के लिए मंत्रालय ने तय किया है कि अब शिक्षण संस्थानों को एआइएसएचई के वेब पोर्टल पर प्रत्येक शिक्षक का नाम, उनकी नियुक्ति की प्रकृति, शिक्षण कार्य में संलग्न रहने की अवधि, शिक्षक काल से पहले का कार्यानुभव दर्ज कराने के साथ यह भी उल्लेख करना होगा कि उनकी विशेषज्ञता किस विषय में है।
शिक्षण संस्थाओं को शिक्षक का आधार नंबर भी अनिवार्य रूप से पोर्टल पर दर्ज कराना होगा। चूंकि हर व्यक्ति का आधार नंबर विशिष्ट होता है, इसलिए उसके आधार पर यह आसानी से जाना जा सकेगा कि शिक्षक के रूप में अमुक व्यक्ति किस शिक्षण संस्थान में पढ़ा रहा है।
यदि आधार नंबर नहीं दर्ज होगा तो उस शिक्षक का डाटा वेबपोर्टल पर स्वीकार नहीं होगा। यदि ऐसा होता है तो संबंधित संस्थान द्वारा दिए गए विवरण में दर्ज शिक्षकों की संख्या और पोर्टल पर दर्ज संख्या में फर्क आएगा जिसकी वजह से पोर्टल पर संस्थान का फॉर्म भी स्वीकार नहीं हो पाएगा।
गत 26 सितंबर को नई दिल्ली में एचआरडी मंत्रालय की ओर से आयोजित सभी राज्यों के उच्च शिक्षा सचिवों और एआइएसएचई के स्टेट नोडल अफसरों की बैठक में राज्यों को इस फैसले की जानकारी दे दी गई है।
उत्तर प्रदेश की ओर से बैठक में हिस्सा लेने गए एआइएसएचई के स्टेट नोडल अफसर डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि एचआरडी मंत्रालय के इस कदम से एक ही शिक्षक के कई कॉलेजों में पढ़ाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शिक्षकों का एक डाटाबेस तैयार हो सकेगा जिससे शिक्षा और शिक्षकों के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद से मूल्यांकन के लिए भी एआइएसएचई का रिफरेंस नंबर जरूरी होता है। यदि एआइएसएचई पोर्टल पर कॉलेज दर्ज नहीं है तो उसका नैक मूल्यांकन भी नहीं हो सकता है।
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