इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने डिस्टेंस शिक्षा के माध्यम से दो साल की बीटीसी ट्रेनिंग करने वाले शिक्षामित्रों के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर आवेदन को स्वीकार करने का आदेश दिया है.
न्यायालय ने यह आदेश अंजलि और दिनेश कुमार की याचिका पर दिया. याचिका में 25 जून 2016 के शासनादेश और 28 जून 2016 के विज्ञापन को चुनौती देते हुए कहा गया कि डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से दो साल बीटीसी ट्रेनिंग करने वाले शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर होने वाली भर्ती से वंचित कर दिया गया है.
विज्ञापन के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के कुल 16448 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किये गए थे.
याचियों की ओर से अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने दलील दी की कि यह शासनादेश और विज्ञापन उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली, 1981 के प्रावधानों के प्रतिकूल हैं.
उन्होंने कहा कि याचियों द्वारा की गई दो वर्ष की बीटीसी ट्रेनिंग आनंद कुमार मामले में न्यायालय द्वारा गैर कानूनी नहीं ठहराई गई है. इसके साथ ही एनसीटीई ने 26 अक्टूबर 2015 की अधिसूचना द्वारा इसे मंजूरी दी हुई है.
मामले की सुनवाई करने के बाद न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की एकल सदस्यीय पीठ ने राज्य सरकार को दस दिनों में जवाब देने का आदेश दिया व इसके बाद एक सप्ताह के भीतर याचियों को प्रत्युत्तर देना होगा.
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
न्यायालय ने यह आदेश अंजलि और दिनेश कुमार की याचिका पर दिया. याचिका में 25 जून 2016 के शासनादेश और 28 जून 2016 के विज्ञापन को चुनौती देते हुए कहा गया कि डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से दो साल बीटीसी ट्रेनिंग करने वाले शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर होने वाली भर्ती से वंचित कर दिया गया है.
विज्ञापन के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के कुल 16448 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किये गए थे.
याचियों की ओर से अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने दलील दी की कि यह शासनादेश और विज्ञापन उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली, 1981 के प्रावधानों के प्रतिकूल हैं.
उन्होंने कहा कि याचियों द्वारा की गई दो वर्ष की बीटीसी ट्रेनिंग आनंद कुमार मामले में न्यायालय द्वारा गैर कानूनी नहीं ठहराई गई है. इसके साथ ही एनसीटीई ने 26 अक्टूबर 2015 की अधिसूचना द्वारा इसे मंजूरी दी हुई है.
मामले की सुनवाई करने के बाद न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की एकल सदस्यीय पीठ ने राज्य सरकार को दस दिनों में जवाब देने का आदेश दिया व इसके बाद एक सप्ताह के भीतर याचियों को प्रत्युत्तर देना होगा.
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