बुलंदशहर : दो विद्यालयों को अनुदान पर लेने के लिए प्रबंधक समिति ने
बड़ा फर्जीवाड़ा किया है। एक ने बीएसए विभाग के फर्जी कागजात ही रिसीव करा
दिए तो दूसरे ने इलाहाबाद से मान्यता दर्शा दी। बेसिक शिक्षा सचिव ने
फर्जीवाड़े को पकड़ लिया। कोर्ट ने फर्जीवाड़ा मानते हुए दोनों विद्यालयों की
याचिका को खारिज कर दिया।
हरिहर पाठशाला साठा बुलंदशहर और विवेकानंद शिशु विद्यालय डिबाई ने सरकार से अनुदान लेने के लिए इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसमें उन्होंने कहा था कि विद्यालयों को अनुदान दिया जाए, जिससे शिक्षा के स्तर में और सुधार हो सके। अनुदान लेने के लिए दोनों विद्यालयों ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया। बेसिक शिक्षा विभाग की फर्जी प्राप्ति दिखाकर और बीएसए की मोहर लगाकर कोर्ट में रिट डाल दी। कोर्ट ने सचिव स्तर से इसका जबाव मांगा। काउंटर लगने के बाद सचिव ने विभिन्न बिन्दुओं की जानकारी की तो उसमें मामला फर्जी पाया गया। पता चला कि बीएसए कार्यालय से कोई प्रमाण पत्र रिसीव ही नहीं हुआ है। विद्यालयों ने फर्जी तरीके से प्रक्रिया पूरी कराई है। इसके अलावा दूसरे विद्यालय ने मान्यता ही इलाहाबाद से दर्शा दी। बुलंदशहर में विद्यालय है तो बेसिक शिक्षा विभाग ही मान्यता देगा। उसमें काफी झोल दिखाई दिया। सचिव ने बीएसए कार्यालय से भी रिकार्ड दिखवाया, लेकिन दोनों विद्यालयों का खेल उजागर हो गया। शासन स्तर से कोर्ट को रिपोर्ट भेज दी गई। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों विद्यालयों की याचिका को खारिज करते हुए जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी वेदराम ने बताया कि शासन से रिपोर्ट आ गई है। बताया जा रहा है कि विभाग में कोई कागज रिसीव ही नहीं कराया और फर्जी तरीके से रिसीव दिखाकर याचिका डाल दी। पूरे मामले की जांच करने के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पहले यह देखा जाएगा कि कहां से और किस स्तर पर खेल हुआ है।
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हरिहर पाठशाला साठा बुलंदशहर और विवेकानंद शिशु विद्यालय डिबाई ने सरकार से अनुदान लेने के लिए इलाहाबाद कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसमें उन्होंने कहा था कि विद्यालयों को अनुदान दिया जाए, जिससे शिक्षा के स्तर में और सुधार हो सके। अनुदान लेने के लिए दोनों विद्यालयों ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया। बेसिक शिक्षा विभाग की फर्जी प्राप्ति दिखाकर और बीएसए की मोहर लगाकर कोर्ट में रिट डाल दी। कोर्ट ने सचिव स्तर से इसका जबाव मांगा। काउंटर लगने के बाद सचिव ने विभिन्न बिन्दुओं की जानकारी की तो उसमें मामला फर्जी पाया गया। पता चला कि बीएसए कार्यालय से कोई प्रमाण पत्र रिसीव ही नहीं हुआ है। विद्यालयों ने फर्जी तरीके से प्रक्रिया पूरी कराई है। इसके अलावा दूसरे विद्यालय ने मान्यता ही इलाहाबाद से दर्शा दी। बुलंदशहर में विद्यालय है तो बेसिक शिक्षा विभाग ही मान्यता देगा। उसमें काफी झोल दिखाई दिया। सचिव ने बीएसए कार्यालय से भी रिकार्ड दिखवाया, लेकिन दोनों विद्यालयों का खेल उजागर हो गया। शासन स्तर से कोर्ट को रिपोर्ट भेज दी गई। जिसके बाद कोर्ट ने दोनों विद्यालयों की याचिका को खारिज करते हुए जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी वेदराम ने बताया कि शासन से रिपोर्ट आ गई है। बताया जा रहा है कि विभाग में कोई कागज रिसीव ही नहीं कराया और फर्जी तरीके से रिसीव दिखाकर याचिका डाल दी। पूरे मामले की जांच करने के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पहले यह देखा जाएगा कि कहां से और किस स्तर पर खेल हुआ है।
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