राज्य सरकार ने पिछड़े वर्ग के युवाओं को अपने संसाधनों से कोर्स ऑन
कंप्यूटर कॉन्सेप्ट (ट्रिपल सी) कराने का फैसला किया है। सालाना एक लाख
रुपये तक आमदनी वाले परिवारों के युवा इस योजना का लाभ ले
सकेंगे। इस बाबत पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय ने प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। अगले वित्त वर्ष में यह योजना लागू हो जाएगी।
कई विभागों ने समूह ग (लिपिकीय श्रेणी) की भर्ती के लिए ट्रिपल सी अनिवार्य कर दिया है। नतीजतन, केंद्रीय सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्त संस्था डोएक की ओर से मिलने वाले इस प्रमाणपत्र की अहमियत काफी बढ़ गई है। ट्रिपल सी के महत्व को देखते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने गरीब परिवारों के लड़के-लड़कियों को इसे निशुल्क कराने का प्रस्ताव तैयार किया है।
इस प्रस्ताव के अनुसार, 18-35 वर्ष के युवाओं को योजना का लाभ दिया जाएगा। दो माह या 80 घंटे के कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता हाईस्कूल होगी। ट्रिपल सी कोर्स कराने के लिए मान्यता प्राप्त कंप्यूटर प्रशिक्षण संस्थानों से अनुबंध किया जाएगा। राज्य सरकार हर प्रशिक्षु पर 3500 रुपये खर्च करेगी। संस्थान में दाखिला लेने के बाद शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि छात्र के खाते में ऑनलाइन भेजी जाएगी। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रस्ताव शासन की पहल पर ही तैयार किया गया है। इसलिए इसे मंजूरी मिलना तय है।
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सकेंगे। इस बाबत पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय ने प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। अगले वित्त वर्ष में यह योजना लागू हो जाएगी।
कई विभागों ने समूह ग (लिपिकीय श्रेणी) की भर्ती के लिए ट्रिपल सी अनिवार्य कर दिया है। नतीजतन, केंद्रीय सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वायत्त संस्था डोएक की ओर से मिलने वाले इस प्रमाणपत्र की अहमियत काफी बढ़ गई है। ट्रिपल सी के महत्व को देखते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने गरीब परिवारों के लड़के-लड़कियों को इसे निशुल्क कराने का प्रस्ताव तैयार किया है।
इस प्रस्ताव के अनुसार, 18-35 वर्ष के युवाओं को योजना का लाभ दिया जाएगा। दो माह या 80 घंटे के कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता हाईस्कूल होगी। ट्रिपल सी कोर्स कराने के लिए मान्यता प्राप्त कंप्यूटर प्रशिक्षण संस्थानों से अनुबंध किया जाएगा। राज्य सरकार हर प्रशिक्षु पर 3500 रुपये खर्च करेगी। संस्थान में दाखिला लेने के बाद शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि छात्र के खाते में ऑनलाइन भेजी जाएगी। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रस्ताव शासन की पहल पर ही तैयार किया गया है। इसलिए इसे मंजूरी मिलना तय है।
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