प्री-स्कूलों की तर्ज पर अब आंगनबाड़ी केंद्रों में भी पढ़ाई होगी। इन
केंद्रों में आने वाले बच्चों को स्कूल पूर्व की शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए
‘पहल’ नामक पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। इसमें बच्चों को खेल-खेल में
पढ़ाया जाएगा। अभिभावकों को भी प्रेरित किया जाएगा कि वे अपने बच्चों को
आंगनबाड़ी केंद्रों में भेजें।
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय ने सभी जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारियों को हर महीने के पहले शनिवार को ‘अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन’ (ईसीसीई) दिवस मनाने के निर्देश दिए हैं। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां बच्चों की आयु के अनुरूप उनकी गतिविधियों एवं क्षमताओं को उनके अभिभावकों केसामने प्रदर्शित करेंगी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा, विकास एवं देखभाल के प्रति जागरूक करना है।
निदेशालय के अपर निदेशक आरएनएस यादव ने सभी जिलों को ‘पहल’ पाठ्यक्रम के अनुसार ही बच्चों को पढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इस पाठ्यक्रम को खास तौर पर छह वर्ष तक के उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो स्कूल नहीं जाते। इसमें रोचक तरीके से बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा दी जाती है। आंगनबाड़ी केंद्रों से कहा गया है कि वे ईसीसीई-डे का आयोजन कर अभिभावकों को पहल पाठ्यक्रम का महत्व बताएं। इससे वे बच्चों को प्रतिदिन आंगनबाड़ी केंद्र भेजने के लिए प्रेरित होंगे और केंद्र के बारे में अच्छी धारणा बना सकेंगे।
इस योजना के तहत छह महीने बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का भी टेस्ट लिया जाएगा।
इसमें यह देखा जाएगा कि पाठ्यक्रम का उन्होंने कितना उपयोग किया है। यह भी देखा जाएगा कि इससे उनके स्वयं के व बच्चों के ज्ञान में कितनी वृद्धि हुई है।
प्री-स्कूलों की तर्ज पर होगी बच्चों की पढ़ाई
हर माह के पहले शनिवार को बच्चों की गतिविधियां देखेंगे अभिभावक
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निदेशालय के अपर निदेशक आरएनएस यादव ने सभी जिलों को ‘पहल’ पाठ्यक्रम के अनुसार ही बच्चों को पढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इस पाठ्यक्रम को खास तौर पर छह वर्ष तक के उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो स्कूल नहीं जाते। इसमें रोचक तरीके से बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा दी जाती है। आंगनबाड़ी केंद्रों से कहा गया है कि वे ईसीसीई-डे का आयोजन कर अभिभावकों को पहल पाठ्यक्रम का महत्व बताएं। इससे वे बच्चों को प्रतिदिन आंगनबाड़ी केंद्र भेजने के लिए प्रेरित होंगे और केंद्र के बारे में अच्छी धारणा बना सकेंगे।
इस योजना के तहत छह महीने बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का भी टेस्ट लिया जाएगा।
इसमें यह देखा जाएगा कि पाठ्यक्रम का उन्होंने कितना उपयोग किया है। यह भी देखा जाएगा कि इससे उनके स्वयं के व बच्चों के ज्ञान में कितनी वृद्धि हुई है।
प्री-स्कूलों की तर्ज पर होगी बच्चों की पढ़ाई
हर माह के पहले शनिवार को बच्चों की गतिविधियां देखेंगे अभिभावक
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