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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति - विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर रहे तो अटकेगी शिक्षकों की वेतन वृिद्ध

स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कड़े प्रावधान किए जाएंगे। इसमें शिक्षकों की परफॉरमेंस को विद्यार्थियों की परफॉरमेंस से जोड़ा जाएगा। अगर विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर रहा तो शिक्षकों की वेतन बढ़ोतरी भी अटक सकती है।
राज्य की ओर से केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट इस प्रकार के प्रावधान करने की सिफारिश की जाएगी। इस नीति के लिए ड्राफ्ट लगभग तैयार हो चुका है। इस ड्राफ्ट में राज्य के वर्तमान शैक्षिक हालात इतिहास की जानकारी भी भेजी जाएगी। प्रदेश के स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए सांसद और विधायक कोटे का 10 से 15 फीसदी स्कूलों पर खर्च करना अनिवार्य करने का प्रावधान भी शामिल किया गया है। ड्राफ्ट में राज्य में ड्राप आउट और रिटेंशन दर को देश की औसत दर के मुकाबले काफी पीछे बताया गया है। ड्राफ्ट में सिफारिशों को 13 अलग अलग बिंदुओं में बांटा गया है।
राज्यके शैक्षिक इतिहास की जानकारी भी भेजी जाएगी
नईशिक्षा नीति के ड्राफ्ट में प्राचीनकाल, मध्यकाल, आधुनिक काल में प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में हुए विकास की जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि राज्य में 1949 में प्रारंभिक शिक्षा में प्राथमिक स्कूलों की संख्या 3195 और माध्यमिक स्कूलों की संख्या मात्र 175 थी। वर्तमान में प्रदेश में 33,425 प्राथमिक, 20210 उच्च प्राथमिक, 3951 माध्यमिक और 9435 उच्च माध्यमिक स्तर के स्कूल संचालित हैं। इनमें 85.81 लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षकों के प्रारंभिक शिक्षा में 2.32 लाख और माध्यमिक शिक्षा में 2.16 लाख पद स्वीकृत हैं। इनमें प्रारंभिक शिक्षा में 1.94 लाख और माध्यमिक शिक्षा में 1.70 लाख शिक्षक कार्यरत हैं। वर्तमान में शिक्षकों के 84 हजार पद खाली पड़े हैं।
राज्य की ड्रापआउट दर देश की औसत से दुगुनी
सूचकराजस्थान भारत
ड्रापआउट दर 8.394.34
रिटेंशनदर
कक्षा1 से 5 तक 72.00 83.74
प्राथमिक से उच्च प्राथमिक 88.23 89.74
उच्च प्राथमिक से माध्यमिक 90.62 91.58
माध्यमिक से उच्च माध्यमिक 64.44 67.70
नई नीति में इन प्रावधानों को भी शामिल करने की सिफारिश
{देशके प्रत्येक राज्य में शिक्षकों के तबादले नीति से ही किए जाए। {बच्चों की मासिक स्वास्थ्य जांच का प्रावधान हो। {उच्च प्राथमिक स्तर से ही स्किल डवलपमेंट शिक्षा लागू की जाए। {प्रत्येक जिले में कम से कम एक आवासीय स्कूल की स्थापना हो। {स्कूलों का प्रमाणन किया जाए, ताकि अभिभावकों को स्कूल चुनने में सुविधा हो सके। {स्कूलों के समस्त डाटा ऑनलाइन किए जाए। {शिक्षकों का प्रशिक्षण अनिवार्य हो और इसे वेतन बढ़ोतरी से जोड़ा जाए।

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