चित्रकूट.
सुदूर अंचलों में पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को उच्चीकृत कर राजकीय
हाईस्कूल का दर्जा दे दिया गया। दर्जाधारी इन 19 विद्यालयों के लिए आधा
दर्जन से भी कम शिक्षक संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय से मिले। लोकल स्तर
पर शिक्षकों के समायोजन से काम चलाया जा रहा है। विभागीय आकड़े बताते हैं
कि माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के बजाय हालात और खराब हो गए।
माध्यमिक
शिक्षा अभियान के तहत सुदूर अंचलों में स्थित आठवीं तक के विद्यालयों को
उच्चीकृत कर उन्हें हाईस्कूल का दर्जा दे दिया गया। मंशा यह थी कि माध्यमिक
शिक्षा का लाभ ग्रामीण इलाकों में भी पहुंचे। जिले में अब तक 19 विद्यालय
राजकीय हाईस्कूल का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं। इनके निर्माण में करोड़ों
रुपए खर्च हो गए। भव्य भवन हैं, छात्र-छात्राएं भी हैं लेकिन पर्याप्त
शिक्षक नहीं मिल पाए। जबकि शिक्षण कार्य संचालित हो रहा है। ऐसे में कैसे
शिक्षण कार्य हो रहा होगा यह अंदाजा लगा सकते हैं। शिक्षण कार्य के लिए
जिले के राजकीय इंटर कालेजों या अन्य कालेजों के शिक्षकों को इन दर्जाधारी
राजकीय हाईस्कूल में लगाया गया है।
जिस कालेज
में शिक्षण कार्य व्यवस्थित तरीके से चल रहा था उनमें भी दर्जाधारी कालेजों
के चक्कर में शिक्षण कार्य बाधित हो गया। शिक्षण कार्य के अलावा इन
प्रोन्नत कालेजों में अन्य सुविधाएं भी नहीं है। वहां तक पहुंचने के लिए
सुगम रास्ता भी नहीं है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग प्रयासरत हैं।
निर्माण की लागत
एक
राजकीय हाईस्कूल के निर्माण की लागत 51 लाख रुपए हैं। लगभग दस करोड़ की
लागत से इन सभी विद्यालयों का निर्माण हुआ। भारी भरकम बजट खपाने के बाद भी
शिक्षकों का टोटा है।
संपर्क मार्ग की दरकार
नवीन
राजकीय हाईस्कूल ममसी बुजुर्ग, राजकीय हाईस्कूल मिर्जापुर, राजकीय
हाईस्कूल नोनार, राजकीय हाईस्कूल सूरसेन तक पहुंचने के लिए संपर्क मार्ग
नहीं है। जहां है भी वह क्षतिग्रस्त हालत में है। जिला विद्यालय निरीक्षक
मो. रफीक ने बताया कि सीडीओ को पत्र भेजकर संपर्क मार्ग निर्माण कराने की
मांग की गई है।
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