MEERUT : भाजपा सांसद वरुण गांधी ने दो टूक कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति से भारत विश्वगुरु कभी नहीं बन पाएगा। रोजगार के संकट से निदान की कोई ठोस पहल नजर नहीं आ रही है। शिक्षा एवं अवसर प्रदान करने में भारी भेदभाव और असमानता से देश नए संकट की ओर बढ़ रहा है।
साफ कहा कि अगर युवाओं को सभी क्षेत्रों में भागेदारी नहीं दी गई तो देश बूढ़ा हो जाएगा। खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर वह गांधी परिवार से न होते तो शायद राजनीति में कभी अवसर न मिलता।
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने सोमवार को मेरठ में बाईपास स्थित एक संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में देश की व्यवस्था पर जमकर प्रहार किया। कहा कि ब्राजील और भारत की जीडीपी 1.80 लाख करोड़ है, किंतु वहां पर भारत की तुलना में शिक्षा पर तीन गुना ज्यादा खर्च किया जा रहा है। देश की शिक्षा नीति पर बरसते हुए कहा कि यहां हर राज्य का अपना बोर्ड है, जिससे छात्रों की जानकारी में भारी असमानता खड़ी हो गई है। कहा कि यूपी में शिक्षकों का हर तीसरा पद खाली है।
नहीं चुका सके शिक्षा लोन
प्रदेश का 37 फीसदी शिक्षक स्टाफ शिक्षामित्र है। शिक्षा लोन के 90 फीसदी खाते एनपीए हो गए। वर्ष 2014- 15 बैच के आइआइटी छात्रों में से 27 फीसदी बेरोजगार रह गए, जो खतरनाक संकेत है। शिक्षा के अधिकार पर करोड़ों खर्च किया गया, पर क्या रिजल्ट निकला? कहा कि देश में एक शिक्षा बोर्ड होना चाहिए। कोटा में छात्रों के आत्महत्या को दुखद बताते हुए अभिभावकों को सावधान किया। कहा कि भारत के इंजीनियर नौकरी लायक नहीं निकल रहे। राजनीति में उम्र निर्धारित करने की वकालत करते हुए भाजपा सांसद ने अन्य तमाम देशों का उदाहरण भी दिया। कहा कि अगर युवाओं की राजनीति में भागीदारी नहीं बढ़ी तो देश ठहर जाएगा।
स्किल डेवलपमेंट का दिया उदाहरण
लेबनान आर सीरिया जैसे देश भी स्किल डेवलपमेंट में नए उदाहरण पेश कर रहे हैं। तेजाब पीडिृता लक्ष्मी का जिक्र करते हुए कहा कि उसकी पहल पर ही तेजाब बिक्री पर रोक लगाने का कानून बना। अपने संसदीय अनुभव पर कहा कि सांसद का काम नाली और खड़ंजा तक नहीं सिमटा है, बल्कि उसे देश के विकास का विजन रखना होगा। वरुण ने साफ किया कि वह धर्म, जाति एवं समीकरण की राजनीति नहीं मानते। करीब एक घंटे तक भाषण के दौरान वरुण ने भाजपा एवं मोदी का नाम लेने से परहेज किया।
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साफ कहा कि अगर युवाओं को सभी क्षेत्रों में भागेदारी नहीं दी गई तो देश बूढ़ा हो जाएगा। खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर वह गांधी परिवार से न होते तो शायद राजनीति में कभी अवसर न मिलता।
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भाजपा सांसद वरुण गांधी ने सोमवार को मेरठ में बाईपास स्थित एक संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में देश की व्यवस्था पर जमकर प्रहार किया। कहा कि ब्राजील और भारत की जीडीपी 1.80 लाख करोड़ है, किंतु वहां पर भारत की तुलना में शिक्षा पर तीन गुना ज्यादा खर्च किया जा रहा है। देश की शिक्षा नीति पर बरसते हुए कहा कि यहां हर राज्य का अपना बोर्ड है, जिससे छात्रों की जानकारी में भारी असमानता खड़ी हो गई है। कहा कि यूपी में शिक्षकों का हर तीसरा पद खाली है।
नहीं चुका सके शिक्षा लोन
प्रदेश का 37 फीसदी शिक्षक स्टाफ शिक्षामित्र है। शिक्षा लोन के 90 फीसदी खाते एनपीए हो गए। वर्ष 2014- 15 बैच के आइआइटी छात्रों में से 27 फीसदी बेरोजगार रह गए, जो खतरनाक संकेत है। शिक्षा के अधिकार पर करोड़ों खर्च किया गया, पर क्या रिजल्ट निकला? कहा कि देश में एक शिक्षा बोर्ड होना चाहिए। कोटा में छात्रों के आत्महत्या को दुखद बताते हुए अभिभावकों को सावधान किया। कहा कि भारत के इंजीनियर नौकरी लायक नहीं निकल रहे। राजनीति में उम्र निर्धारित करने की वकालत करते हुए भाजपा सांसद ने अन्य तमाम देशों का उदाहरण भी दिया। कहा कि अगर युवाओं की राजनीति में भागीदारी नहीं बढ़ी तो देश ठहर जाएगा।
स्किल डेवलपमेंट का दिया उदाहरण
लेबनान आर सीरिया जैसे देश भी स्किल डेवलपमेंट में नए उदाहरण पेश कर रहे हैं। तेजाब पीडिृता लक्ष्मी का जिक्र करते हुए कहा कि उसकी पहल पर ही तेजाब बिक्री पर रोक लगाने का कानून बना। अपने संसदीय अनुभव पर कहा कि सांसद का काम नाली और खड़ंजा तक नहीं सिमटा है, बल्कि उसे देश के विकास का विजन रखना होगा। वरुण ने साफ किया कि वह धर्म, जाति एवं समीकरण की राजनीति नहीं मानते। करीब एक घंटे तक भाषण के दौरान वरुण ने भाजपा एवं मोदी का नाम लेने से परहेज किया।
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