लखनऊ । सूबे में एजुकेशनल ट्रिब्यूनल गठित करने की प्रक्रिया
तेज हो गई है। इसके लिए एक्ट का मसौदा तैयार कर लिया गया है, जिसे विचार
के लिए 7 जनवरी को मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि
ट्रिब्यूनल इसी साल वजूद में आ जाएगा।
सोमवार को प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा और सचिव बेसिक शिक्षा
की मौजूदगी में हुई बैठक में ट्रिब्यूनल एक्ट का मसौदा तैयार किया गया।
इसके अनुसार ट्रिब्यूनल में पांच सदस्य होंगे। हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज
इसके अध्यक्ष होंगे, जबकि सेवानिवृत्त पीसीएस अधिकारी को सदस्य सचिव बनाया
जाएगा। सदस्य सचिव को छठे वेतनमान के अनुसार वेतन दिया जाएगा। बहरहाल
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले सुझावों को शामिल करते हुए इसे परीक्षण के
लिए शासन के न्याय और वित्त विभाग को भेजा जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रिब्यूनल एक्ट के मसौदे को जल्द ही
मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा। इसके बाद इसे विधानमंडल में पेश किया
जाएगा। बेसिक और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों के सेवा
संबंधी तमाम मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इससे अदालतों
पर तो भार बढ़ ही रहा है, विभागीय अधिकारियों का भी काफी समय इसमें लग जाता
है। फिलहाल विभाग से सेवा संबंधी मामलों में कोई मतभेद होने पर शिक्षकों
और शिक्षणेतर कर्मचारियों के पास अदालत जाने के सिवाय कोई चारा नहीं होता।
इस समस्या से निपटने के लिए ही सरकार ने स्टेट एजूकेशनल ट्रिब्यूनल के गठन
की योजना बनाई।