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कड़वे सवाल : यदि 12091 की सूची सही थी तो सबकी काउंसिलिंग कहीं न कहीं होनी चाहिए थी ?

अभ्यर्थियों का यही हश्र होना था तो फिर उनसे प्रत्यावेदन लेकर बाकायदे सूची जारी करने की प्रक्रिया में समय और श्रम क्यों खर्च हुआ सवाल यह है कि यदि 12091 की सूची सही थी तो सबकी काउंसिलिंग कहीं न कहीं होनी चाहिए थी? ऐसा होता तो सब नौकरी पा जाते।
यदि अभ्यर्थियों के आवेदन गलत थे तो परिषद और फिर जिलों ने उसे सही कैसे ठहराया?
इलाहाबाद : अजीब विडंबना है जो अभ्यर्थी अपने प्राप्तांक से विभाग के रिकॉर्ड में पास हैं, वही नियुक्ति मिलने के वक्त फेल हो गए। ऐसे अभ्यर्थियों की तादाद प्रदेश में एक, दो या कुछ सैकड़ा नहीं बल्कि हजारों में है। उनमें से लगभग 400 नियुक्ति पाने में सफल रहे हैं, बाकी जिलों का
कटऑफ खंगाल रहे हैं और उन्हें अपना नंबर दिख ही नहीं रहा है। इन अभ्यर्थियों का यही हश्र होना था तो फिर उनसे प्रत्यावेदन लेकर बाकायदे सूची जारी करने की प्रक्रिया में समय और श्रम क्यों खर्च हुआ यह किसी के समझ नहीं आ रहा है। यह जरूर है कि शिक्षक बनने के प्रबल दावेदारों में यह वर्ग पूरी मुस्तैदी से शामिल हो गया है।
यह चर्चा हो रही है बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति पाने के लिए सूचीबद्ध हुए 12091 अभ्यर्थियों की। असल में परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती की प्रक्रिया 27 सितंबर 2011 को शुरू हुई। इसमें करीब 60 हजार से अधिक शिक्षकों की भर्ती हो चुकी है। दो नवंबर 2015 को शीर्ष कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद सचिव को निर्देश दिया है कि वह शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 में अधिक अंक से पास करने के बाद भी नियुक्ति न पाने वाले
अभ्यर्थियों से प्रत्यावेदन मांगकर उनका निस्तारण करें। परिषद सचिव ने इस संबंध में विज्ञप्ति जारी कर कहा कि शीर्ष कोर्ट की ओर से पारित आदेश 27 जुलाई 2015 में निर्धारित टीईटी 2011 में सामान्य वर्ग में 70 फीसदी एवं आरक्षित वर्ग के 60 फीसदी अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण हो तथा शिक्षक भर्ती की काउंसिलिंग में उपस्थित होने के बाद भी नियुक्ति प्राप्त न कर सका हो और उन्हें इस संदर्भ में कोई शिकायत हो कि निर्धारित अंक प्राप्त करने के बाद बाद भी उन्हें प्रशिक्षु शिक्षक के लिए चयनित नहीं किया गया। ऐसे अभ्यर्थी अपना प्रत्यावेदन भेजे।
इसके बाद तय समयावधि में करीब 75 हजार से अधिक प्रत्यावेदन परिषद को मिले। उनमें से 12091 ऐसे अभ्यर्थी पाए गए जिनके अंक किसी न किसी जिले के कटऑफ से अधिक थे। इसकी जिलों से भी पुष्टि हुई। परिषद ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि इन अभ्यर्थियों को एक मौका और देते हुए काउंसिलिंग कराई जाएगी। जनवरी में काउंसिलिंग के लिए जिलों ने कटऑफ भी जारी किया, लेकिन मुश्किल से 400 के लगभग अभ्यर्थी ही जारी कटऑफ के दायरे में आए। बाकी करीब
साढ़े ग्यारह हजार अभ्यर्थी वह जिला ही तलाशते रह गए, जहां का कटऑफ उन्होंने क्रॉस किया था। परिषद का तर्क था कि यह हर अभ्यर्थी को पता है कि उसके अंक किस जिले के कटऑफ से अधिक हैं, लेकिन अभ्यर्थी वह जिला खोज नहीं सके। सवाल यह है कि यदि 12091 की सूची सही थी तो सबकी काउंसिलिंग कहीं न कहीं होनी चाहिए थी? ऐसा होता तो सब नौकरी पा जाते। यदि अभ्यर्थियों के आवेदन गलत थे तो परिषद और फिर जिलों ने उसे सही कैसे ठहराया? इसी को लेकर अब अवमानना याचिका दायर हुई है। इतना ही नहीं तमाम ऐसे भी अभ्यर्थी हैं जिनके अंक सूची में दर्ज अभ्यर्थियों से अधिक हैं वह भी मौका देने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में जारी होने वाले कटऑफ पर ही अंगुली उठ रही हैं।

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