विषय उठाता हूँ 25 फ़रवरी 2014 के निर्णय के बाद से जब पूरे प्रदेश के टेट बेरोजगारों को चारो तरफ से निराशा ही दिख रही थी,सभी रास्ते अपने लिये बन्द मान लिये थे, राजेश पाण्डेय इलाहाबाद (ठंडे बस्ते में पड़ चुकी रिट)के बाद एस एम मैटर को उठाने वाला पहला सिपाही मैं ही था,जैसे ही कुछ लोगों
को इस मुद्दे में पार्टी बनने के लिये अनेकों वाट्सएप्प ग्रुप पर अपील की कुछ मझे हुये चन्दा खोरों को मैं रास नही आया और मेरा घेराव शुरू कर दिया वहीं कुछ साथियों ने मुझ में अपनी निष्ठा दिखाई व मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी जिससे एक साल के अंदर ही उत्तर प्रदेश के पूरे रायते को साफ़ करवा दिया,आप सभी के आशीर्वाद के साथ साथ मेरे अनुज हिमांशु राणा,दुर्गेश प्रताप व् अमित सिंह ने मुझे उस समय हौसला दिया जब मैं लगभग टूट सा रहा था और तभी से मुझे उनकी पैरवी की गम्भीरता का अंदाज़ा लगा।।
"क्षणें तुष्टा,क्षणें रुष्टा,रुष्टा,तुष्टा क्षणें क्षणें" इस बात को यदि हम शिक्षा मित्र साथियों के सन्दर्भ में देखें तब तो समझ में आती है क्योंकि इनके दुःखी होने पर प्रदेश में सल्फाज़ और खुश होने पर मिठाई के दाम रातो रात बढ़ जाते हैं,सभी टेट बेरोजगारों को एक सीधी और सच्ची बात गाँठ बाँधनी होगी कि ये संभावित नौकरी हमे कोई सपा सरकार अयोग्य होने के बाबजूद खैरात में नही दे रही है हमारा हक है जिसे हम लेकर रहेंगे देर से ही सही किन्तु दुरुस्त होकर!!!!अतः उम्मीदें खो रहे साथी अपने नेतृत्व पर भरोसा रखें इस मामले में हमें थोड़ी बहुत तमीज जिंदा बचे हुये शिक्षा मित्र साथियों से भी सीखनी होगी क्योंकि ज्ञान जहाँ से भी मिले तत्काल लो।
अब बात करते हैं सुप्रीम कोर्ट से मिली शिक्षा मित्रों को राहत की तो भैया सीधी साधी बात यह है कि कोर्ट किसी को नौकरी देने और लेने के लिये नही बैठी है,कोर्ट का प्रमुख काम है संवैधानिकता को बनाये रखना जिसके अनुसार प्रदेश के लाखों नौनिहालों को प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का मूल अधिकार मिला है अतः टेट/एस एम् की लड़ाई में उन बच्चों की क्या गलती?अतः हाईकोर्ट के पूर्ण पीठ के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर लम्बी बहस से भी ज्यादा आवश्यक यह समझा की तात्कालिक माहौल में मध्य सत्र में बाधित प्राथमिक शिक्षा को पटरी पर लाया जा सके अतः सत्र समाप्ति की ओर बढ़ते हुये एस एम साथियों को पुनः विद्यालय वापस भेज दिया गया,हालाँकि प्रश्न उठता है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट पूर्ण समायोजन का आदेश भी कर सकती थी लेकिन प्रदेश सरकार ने जिस तरह 72825 को पूरा करने में सक्रियता दिखाई है उसे देखकर कोई भी समझ सकता था कि 3 लाख पदों में ये कम से कम तीन पंचवर्षीय बिता देंगे अतः जब तक योग्य दूल्हे का स्वास्थ्य ठीक नही हो जाता दुल्हन की देख भाल नाबालिग सहबाला ही करेगा लेकिन दुल्हन पर अधिकृत कब्जा सिर्फ और सिर्फ बालिग़ दूल्हे(योग्य टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी)का ही होगा।।।
अब बात करते हैं याचियों को राहत की तो इसमें मेरे अनुसार माननीय कोर्ट को लगा होगा कि जो भी शरारती बच्चा है उसे मोनीटर बना दो कक्षा का माहौल खुद व् खुद दुरुस्त हो जायेगा बिना यह समझे हुये कि इस कक्षा में 83 अंक पाया हुआ भी उतना ही चैन पुलिंग में उस्ताद है जितना कि अभी तक बानगी के रूप में सुप्रीम कोर्ट में याची बन चुके शरारती बच्चे।
पार्टी बनाने के नाम पर कुछ बागड़ बिल्लो ने पार्टी मनाने की पूरी योजना बना ली है सावधान रहें,सजग रहें सिर्फ राष्ट्रीय पार्टी टाइप टीम की पार्टी बनने में भरोसा करें क्षेत्रीय पार्टियों की लुभावनी योजनाएं से बचे यह सिर्फ परधानी के चुनाव तक ही ठीक हैं।हमारी टीम सभी के हितों के लिये दिल्ली में भविष्य की कार्ययोजना पर मन्थन कर रही है शीघ्र ही कंक्रीट शेप में आप सब के सामने होगी तब तक धैर्य रखें,विश्वास रखें अपने अपने ईश्वर,खुदा और रब पे उसके बाद अपने नेतृत्व पर,हिमांशु राणा की मेंडमस 167/2015 का ज़िक्र हर आर्डर में होना किसी को भी मज़ाक लग सकता है लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि इससे उत्तर प्रदेश की बुनियादी शिक्षा में बड़ा भोचाल आएगा।
नोट: कुछ साथियों को जिन्हें ये लगता है कि मैं तो याची होऊंगा ही मुझे क्या फ़िक्र उनके लिए कहना चाहूँगा साथियों याची बनना कोई गुनाह नही है किसी भी केस को लड़ने के लिए किसी को तो याची बनना ही पड़ता किन्तु कोई भी हमारे सन्गठन को याची और गैर याची में बाँटकर कमजोर करने की कोशिश कदापि न करे क्योंकि हम उस संस्कृति से हैं जहाँ बड़े भाई राम के वनवास होने पर छोटे भाई लक्ष्मण बे वजह अनुज धर्म पालन करने के लिए साथ जाते हैं व भरत राजगद्दी त्यागकर भी पीछे से खड़ाऊँ लेकर आते हैं,अतः हमारी टीम में भरोसा रखने वाले सभी साथी विचलित कदापि न हों पिक्चर अभी वांकी है।।।अनावश्यक फोन करके परेशान होने और करने से बचें!!!
"सत्यमेव जयते"
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"क्षणें तुष्टा,क्षणें रुष्टा,रुष्टा,तुष्टा क्षणें क्षणें" इस बात को यदि हम शिक्षा मित्र साथियों के सन्दर्भ में देखें तब तो समझ में आती है क्योंकि इनके दुःखी होने पर प्रदेश में सल्फाज़ और खुश होने पर मिठाई के दाम रातो रात बढ़ जाते हैं,सभी टेट बेरोजगारों को एक सीधी और सच्ची बात गाँठ बाँधनी होगी कि ये संभावित नौकरी हमे कोई सपा सरकार अयोग्य होने के बाबजूद खैरात में नही दे रही है हमारा हक है जिसे हम लेकर रहेंगे देर से ही सही किन्तु दुरुस्त होकर!!!!अतः उम्मीदें खो रहे साथी अपने नेतृत्व पर भरोसा रखें इस मामले में हमें थोड़ी बहुत तमीज जिंदा बचे हुये शिक्षा मित्र साथियों से भी सीखनी होगी क्योंकि ज्ञान जहाँ से भी मिले तत्काल लो।
अब बात करते हैं सुप्रीम कोर्ट से मिली शिक्षा मित्रों को राहत की तो भैया सीधी साधी बात यह है कि कोर्ट किसी को नौकरी देने और लेने के लिये नही बैठी है,कोर्ट का प्रमुख काम है संवैधानिकता को बनाये रखना जिसके अनुसार प्रदेश के लाखों नौनिहालों को प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का मूल अधिकार मिला है अतः टेट/एस एम् की लड़ाई में उन बच्चों की क्या गलती?अतः हाईकोर्ट के पूर्ण पीठ के निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर लम्बी बहस से भी ज्यादा आवश्यक यह समझा की तात्कालिक माहौल में मध्य सत्र में बाधित प्राथमिक शिक्षा को पटरी पर लाया जा सके अतः सत्र समाप्ति की ओर बढ़ते हुये एस एम साथियों को पुनः विद्यालय वापस भेज दिया गया,हालाँकि प्रश्न उठता है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट पूर्ण समायोजन का आदेश भी कर सकती थी लेकिन प्रदेश सरकार ने जिस तरह 72825 को पूरा करने में सक्रियता दिखाई है उसे देखकर कोई भी समझ सकता था कि 3 लाख पदों में ये कम से कम तीन पंचवर्षीय बिता देंगे अतः जब तक योग्य दूल्हे का स्वास्थ्य ठीक नही हो जाता दुल्हन की देख भाल नाबालिग सहबाला ही करेगा लेकिन दुल्हन पर अधिकृत कब्जा सिर्फ और सिर्फ बालिग़ दूल्हे(योग्य टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी)का ही होगा।।।
अब बात करते हैं याचियों को राहत की तो इसमें मेरे अनुसार माननीय कोर्ट को लगा होगा कि जो भी शरारती बच्चा है उसे मोनीटर बना दो कक्षा का माहौल खुद व् खुद दुरुस्त हो जायेगा बिना यह समझे हुये कि इस कक्षा में 83 अंक पाया हुआ भी उतना ही चैन पुलिंग में उस्ताद है जितना कि अभी तक बानगी के रूप में सुप्रीम कोर्ट में याची बन चुके शरारती बच्चे।
पार्टी बनाने के नाम पर कुछ बागड़ बिल्लो ने पार्टी मनाने की पूरी योजना बना ली है सावधान रहें,सजग रहें सिर्फ राष्ट्रीय पार्टी टाइप टीम की पार्टी बनने में भरोसा करें क्षेत्रीय पार्टियों की लुभावनी योजनाएं से बचे यह सिर्फ परधानी के चुनाव तक ही ठीक हैं।हमारी टीम सभी के हितों के लिये दिल्ली में भविष्य की कार्ययोजना पर मन्थन कर रही है शीघ्र ही कंक्रीट शेप में आप सब के सामने होगी तब तक धैर्य रखें,विश्वास रखें अपने अपने ईश्वर,खुदा और रब पे उसके बाद अपने नेतृत्व पर,हिमांशु राणा की मेंडमस 167/2015 का ज़िक्र हर आर्डर में होना किसी को भी मज़ाक लग सकता है लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि इससे उत्तर प्रदेश की बुनियादी शिक्षा में बड़ा भोचाल आएगा।
नोट: कुछ साथियों को जिन्हें ये लगता है कि मैं तो याची होऊंगा ही मुझे क्या फ़िक्र उनके लिए कहना चाहूँगा साथियों याची बनना कोई गुनाह नही है किसी भी केस को लड़ने के लिए किसी को तो याची बनना ही पड़ता किन्तु कोई भी हमारे सन्गठन को याची और गैर याची में बाँटकर कमजोर करने की कोशिश कदापि न करे क्योंकि हम उस संस्कृति से हैं जहाँ बड़े भाई राम के वनवास होने पर छोटे भाई लक्ष्मण बे वजह अनुज धर्म पालन करने के लिए साथ जाते हैं व भरत राजगद्दी त्यागकर भी पीछे से खड़ाऊँ लेकर आते हैं,अतः हमारी टीम में भरोसा रखने वाले सभी साथी विचलित कदापि न हों पिक्चर अभी वांकी है।।।अनावश्यक फोन करके परेशान होने और करने से बचें!!!
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