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राणा के हमले का सच- विनोद सोनी पर इल्जाम लगाने से पहले राणा निम्न बातो पर ध्यान दो

राणा के हमले का सच- विनोद सोनी पर इल्जाम लगाने से पहले राणा निम्न बातो पर ध्यान दो-
१- ये वो स्क्रीन शॉट है फेसबुक का जिसमे मैंने साफ़ तौर पर राणा के साथी अमित सिंह गोंडा को साफ़ तौर पर हमले से एक दिन पहले ही झाँसी आने के लिए मना किया है कि राणा को झाँसी नहीं आना चाहिए लेकिन वो आये... आखिर क्यों ?????
बुंदेलखंड में ख़ास तौर पर झाँसी, ललितपुर, महोबा, जालौन, उरई में जितने एक्टिव मेंबर है उन सबकी उपस्थिति मयंक के आने से २ दिन पूर्व दर्ज की जा चुकी थी जिसमे करीब अब तक की सबसे बड़ी संख्या डेड से २०० करीब मेमबर्स उपस्थित रहे थे और ये एक बड़ी संख्या बुंदेलखंड में याची बनने की पहली बार सामने आई थी इसके पहले इतने मेंबर्स कभी नहीं आये। मैंने बाकी बचे मेंबर्स की संख्या को पता लगाया और उसके आधार पर राणा के साथी अमित सिंह को साफ साफ मना किया कि यहाँ पर अब मेंबर्स नहीं है और हुआ भी वही राणा की मीटिंग में लगभग १५ से २० साथी ही पहुंचे वो भी याची बनने नहीं उनके भाषण सुनने। (अमित सिंह और मेरी बात का स्कीन शॉट नीचे अवेलेबल है)
२- विनोद सोनी जी की छवि को समूचे झाँसी में क्या प्रदेश में भी जाना जा सकता है ये जितने सरल स्वाभाव के है उसको सभी एक्टिव मेंबर्स नए पुराने सदानंद, सुजीत, गणेश, अवनीश और वर्तमान सभी जानते है और नाम ही नहीं उनके स्वाभाव से भी भली भांति परिचित है यहाँ तक कि आप जिन सचिन सिंह का बार-बार नाम लिख रहे है यदि एक बार वो कह दे कि विनोद सोनी आप पर हमला करा सकता है तो में भी मान लूँगा कि विनोद सोनी ने हमला कराया। विनोद सोनी जी को में तब से जनता हूँ जब २०१२ में सतीश चन्द्र मिश्रा को इन्ही के मंडल की संसदीय प्रत्याशी अनुराधा रमेश शर्मा के माध्यम से निशुल्क लड़ने हेतु ललितपुर झाँसी की सयुक्त टीम के प्रयास दोवारा किया गया था और मिश्रा जी ने मुकुल रोहतगी को सुप्रीम कोर्ट में टेट मेरिट पर स्टे नहीं लेने दिया था और उनमे विनोद ने खासी भूमिका निभायी थी इसकी फोटो इसी पोस्ट के साथ डाल रहा हूँ कि ये कितने पुराने और सेन्सियर व्यक्ति है।
३- जब आपको पता था कि झाँसी में कुछ नहीं बचा तो आप इतने दूर से झाँसी क्यों आये ????? झाँसी के किसी भी मेंबर्स दोवारा ये कह दिया जाए या ललितपुर, जालौन समेत उरई जालौन से कि विनोद सोनी आप पर हमला करा सकते है तो में ये नौकरी छोड़ने और आज के बाद इस लड़ाई से बैक होने का दावा करता हूँ।
४- आरोप तो कोई भी किसी पर भी लगा सकता है और में बार-बार आप लोगो से एक मंच पर मयंक के साथ मिलकर लड़ने की बात कर रहा हूँ जिसका संकेत मयंक हर जगह दे रहे है आपके पास इस समय याचियों की संख्या भी ज्यादा है और कलेक्शन भी ३० से ४० लाख करीब (केवल आरोप) है आपके सभी मेंबर्स का एडहॉक पर नियुक्ति का आदेश भी आ चूका है इसके बाद प्रदेश में मयंक की ईमानदारी को देखते हुए याचीगण मयंक की तरफ रुख कर रहे है विनोद जी मयंक के साथ वही कार्य करते है जो आपके साथ अमित सिंह मतलब राम के हनुमान और रुख करने का मुख्य कारन भी आप जानते है कि यदि आपने पिछली तारीख पर धन का सदुपयोग किया होता तो शायद आज शिक्षा मित्र बाहर होते (केवल आरोप) और पूर्ण समायोजन का दरवाजा कब का खुल चूका होता लेकिन आनद नंदा बनाम पी चिदम्बरम सुप्रीम कोर्ट में चन्दा बचाकर खेलोगे तो मयंक क्या प्रदेश से कई ईमानदार छवि के लोग इस लड़ाई में आगे लड़ने के लिए खड़े होंगे।
५- अब ये न कहना कि शिक्षामित्र मुद्दा तुम्हारा था यदि तुम सही से लड़े होते (कायदे के अधिवक्ता खड़ा कर कर ) तो प्रदेश के टेट वीर तुम्हारा ऑप्शन नहीं तलाश रहे होते और रही बात मुद्दे की तो आपने रेसफलिंग वर्गीकरण और धांधली हैसे मुद्दे भी पहले इख़्तियार किये जो काम आप सही से न करते हुए छोड़ देते है वो काम मयंक जैसे लोगो को मज़बूरी में करने पड़ते है जैसे धांधली तुमने छोड़ा था अब शायद शिक्षामित्रों से भी तुम्हारा मन ऊब गया (केवल आरोप)
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