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SHIKSHAMITRA CASE: शिक्षामित्रों के समायोजन को बचाने का कोई आधार नहीं, वकील सुप्रीम कोर्ट के जजों को गुमराह करेंगे लेकिन कामयाब नही होंगे

शिक्षामित्रों के समायोजन को बचाने का कोई आधार नही , वकील सुप्रीम कोर्ट के जजों को गुमराह करेंगे लेकिन कामयाब नही होंगे : अवैध समायोजन मामले की पिछली तारीख पर शिक्षा मित्र संगठन (ग़ाज़ी इमाम आला ग्रुप ) द्वारा एक वीडियो जारी किया गया जिसमे संगठन के पदाधिकारियों के साथ साथ अवैध समायोजन मामले मे उत्तर प्रदेश के नोडल अधिवक्ता श्री अभिषेक श्रीवास्तव भी मौजूद थे ।

वीडियो की शुरुवात मे नेशनल दस्तक के पत्रकार के सवाल के जवाब मे एक नेता ने कहा की अवैध समायोजन मे आरक्षण नियमों का पालन हुआ और हमारे पास सहायक अध्यापक पद की योग्यता थी । इस पर पत्रकार ने पूछा की फिर हाइ कोर्ट ने क्यू रद्द की । नेता जी ने जवाब दिया की उस समय हाइ कोर्ट और सरकार के बीच अनबन चल रही थी इसलिए समायोजन रद्द हुआ ।

इसके बाद एक दूसरे नेता ने बताया की जिस जाति का प्रधान था उसी जाति के शिक्षा मित्र को नियुक्त किया गया इस पर पत्रकार ज़ोर से हसें और बोले की ये होता है आरक्षण । ऐसे टीचर हैं आप !!
कुछ शिक्षा मित्र नेता ये भी बोले की मुख्यमंत्री ने हमे सम्मानित किया है फिर 14 साला सेवा की बात भी हुई फिर गाजी साहब ने मोर्चा सम्हाला और बताया की ट्रेनिंग के समय आरक्षण का पालन हुआ । ट्रेनिंग हेतु हमारा चयन किया गया था । इस झूठ के बाद नोडल अधिवक्ता श्री अभिषेक श्रीवास्तव मीडिया से मुखातिब हुए ।
हाइ कोर्ट ने चौथे दिन सरकार की ओर से श्री सी बी यादव बहस कर रहे थे ।
जस्टिस चंद्रचूड़ :- अगर एक ग्राम/ न्याय पंचायत मे 1 स्कूल हो तो चयन कैसे होगा ?
श्री सी बी यादव :- जिस जाति का प्रधान होगा उस जाति का शिक्षा मित्र होगा ।
जस्टिस चंद्रचूड़ :- अगर एक ग्राम/ न्याय पंचायत मे 2 स्कूल हो तो चयन कैसे होगा ?
श्री सी बी यादव :- जिस जाति का प्रधान होगा उस जाति का शिक्षा मित्र होगा और दूसरा शिक्षा मित्र किसी भी जाति का हो सकता है ।
जस्टिस चंद्रचूड़ :- अगर एक ग्राम/ न्याय पंचायत मे 3 स्कूल हो तो चयन कैसे होगा ?
श्री सी बी यादव :- सॉरी माय लॉर्ड कहकर सर झुका लिया
जस्टिस चंद्रचूड़ :- कल कोर्ट मे पूरा डाटा लाइये की अभी तक जीतने पदों पर समायोजन हुआ है उसमे कितने सामान्य , ओबीसी , एससी और एसटी हैं ।
अगले दिन सरकार के पास कोई जवाब नही था । अवैध समायोजन का ताबूत जस्टिस चंद्रचूड़ ने बना दिया था ।
इसके बाद शिक्षा मित्रों की ओर से राधा कान्त ओझा जी बहस कर रहे थे । चंद्रचूड़ साहब ने पूछा की क्या सर्विस रूल 1981 का पालन हुआ है । ओझा जी जवाब दे रहे थे की लंच हुआ । शिक्षा मित्रों ने पीछे खड़े अधिवक्ता श्री अभिषेक श्रीवास्तव को घेर लिया और पूछा की ये सर्विस रूल क्या होता है जो जज साहब पूछ रहे हैं । श्री अभिषेक श्रीवास्तव जी ने कहा की आप लोगों के लिए सर्विस रूल साँप की तरह है अच्छा होगा की जज साहब इस पर सवाल न करें ।
अगले दिन स्वयं श्री अभिषेक श्रीवास्तव बहस कर रहे थे । धारा प्रवाह अङ्ग्रेज़ी मे अभिषेक जी ने महाराष्ट्र मॉडल , उत्तराखंड मॉडल , त्रिपुरा मॉडल का विवरण देते हुए शिक्षा मित्रों को अन - ट्रेंड टीचर साबित करने की कोशिश की । पौने दो घंटे तक जज साहब मुस्कुराते हुए सुनते रहे । फिर जज साहब ने पूछा
जस्टिस चंद्रचूड़ :- Mr counsel please corelate your argument with 1981 service rule.(अधिवक्ता महोदय आपने जो बहस की है उसे 1981 सेवा नियमावली से संबन्धित करके बताइये )
अभिषेक श्रीवास्तव जी निरुत्तर हो गए क्यूकी समायोजन सर्विस रूल मे कहीं है ही नही ।
अभिषेक : - My lord I have completed my submission. Can I sit down (मैं अपनी सभी दलीले पेश कर चुका हूँ क्या मैं बैठ जाऊँ )
बीटीसी वाले लोग एकजुट और संगठित रहे । आर्थिक रूप से मजबूती लाने के लिए प्रशिक्षण-रत अभ्यर्थी भी आगे आए । समायोजन को बचाने का कोई आधार नही है । शिक्षा मित्रों के वकील सुप्रीम कोर्ट के जजों को गुमराह करेंगे लेकिन कामयाब नही होंगे । यदि सब कुछ कानूनी रूप से चला तो अवैध समायोजन रद्द होकर रहेगा ।
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