प्रदेश में एक मार्च से सभी जिलों में पूरी पेंशन प्रणाली को ऑनलाइन कर
दिया जाएगा। सभी कोषागारों को सेंट्रल सर्वर से जोड़ने के बाद इस व्यवस्था
पर अमल के लिए वित्त विभाग ने ये आदेश जारी किये हैं।
राज्य कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन निर्धारण तक कई बार कोषागार व महालेखाकार कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। महालेखाकार कार्यालय से भविष्य निधि सहित कर्मचारियों की पूरी नौकरी की बचत का आंकड़ा कोषागार भेजा जाता है, जहां से भुगतान होता है। इसी तरह कर्मचारी के कार्यालय से अंतिम वेतन सहित अन्य जानकारियों के साथ पेंशन स्वीकृति के कागजात कोषागार भेजे जात हैं। अभी सेवानिवृत्ति और पेंशन स्वीकृति की इस पूरी प्रक्रिया में कई बार एक से तीन महीने तक का समय लग जाता है। इस दौरान महालेखाकार कार्यालय और कोषागारों के कर्मचारियों द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आर्थिक दोहन की शिकायतें भी मिलती हैं। इससे निपटने के लिए पूरी प्रक्रिया को ही ऑनलाइन करने का फैसला हुआ था। इससे कर्मचारियों को कोषागार या महालेखाकार कार्यालय जाने के चक्कर से मुक्ति मिलेगी। उनके कागजात ऑनलाइन होंगे और सभी आपत्तियों का निस्तारण भी ऑनलाइन सुनिश्चित किया जाएगा। पिछले वर्ष पहले-पहल उन्नाव व बाराबंकी में ऑनलाइन पेंशन स्वीकृत करने की व्यवस्था होने के बाद अब प्रदेशभर में इसे लागू करने के संबंध में जारी शासनादेश में कहा गया है कि एक मार्च 2016 या उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों का निस्तारण ऑनलाइन ही होगा। सभी आहरण-वितरण अधिकारियों, मंडलीय अपर निदेशकों व संयुक्त निदेशकों के डिजिटल सिग्नेचर जुटाने सहित आधारभूत प्रक्रिया हर हाल में 29 फरवरी तक पूरी कर ली जाए। इसके बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कागजात एक बार उनके दफ्तर से कोषागार पहुंचेंगे, उसके बाद पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।
दो कोषागारों को एक माह का समय : लखनऊ स्थित जवाहर भवन कोषागार व इलाहाबाद के सिविल लाइन्स कोषागार को ऑनलाइन प्रणाली से जुड़ने के लिए एक माह का अतिरिक्त समय दिया गया है। इन कोषागारों से जुड़े विभागों के कर्मचारियों के मार्च माह में सेवानिवृत्त होने पर तो पुरानी पद्धति से ही पेंशन स्वीकृत होगी, किन्तु वित्तीय वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में ये दोनों कोषागार भी ऑनलाइन स्वीकृति प्लेटफार्म से जुड़ जाएंगे।
राज्य कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन निर्धारण तक कई बार कोषागार व महालेखाकार कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। महालेखाकार कार्यालय से भविष्य निधि सहित कर्मचारियों की पूरी नौकरी की बचत का आंकड़ा कोषागार भेजा जाता है, जहां से भुगतान होता है। इसी तरह कर्मचारी के कार्यालय से अंतिम वेतन सहित अन्य जानकारियों के साथ पेंशन स्वीकृति के कागजात कोषागार भेजे जात हैं। अभी सेवानिवृत्ति और पेंशन स्वीकृति की इस पूरी प्रक्रिया में कई बार एक से तीन महीने तक का समय लग जाता है। इस दौरान महालेखाकार कार्यालय और कोषागारों के कर्मचारियों द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आर्थिक दोहन की शिकायतें भी मिलती हैं। इससे निपटने के लिए पूरी प्रक्रिया को ही ऑनलाइन करने का फैसला हुआ था। इससे कर्मचारियों को कोषागार या महालेखाकार कार्यालय जाने के चक्कर से मुक्ति मिलेगी। उनके कागजात ऑनलाइन होंगे और सभी आपत्तियों का निस्तारण भी ऑनलाइन सुनिश्चित किया जाएगा। पिछले वर्ष पहले-पहल उन्नाव व बाराबंकी में ऑनलाइन पेंशन स्वीकृत करने की व्यवस्था होने के बाद अब प्रदेशभर में इसे लागू करने के संबंध में जारी शासनादेश में कहा गया है कि एक मार्च 2016 या उसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों का निस्तारण ऑनलाइन ही होगा। सभी आहरण-वितरण अधिकारियों, मंडलीय अपर निदेशकों व संयुक्त निदेशकों के डिजिटल सिग्नेचर जुटाने सहित आधारभूत प्रक्रिया हर हाल में 29 फरवरी तक पूरी कर ली जाए। इसके बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कागजात एक बार उनके दफ्तर से कोषागार पहुंचेंगे, उसके बाद पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी।
दो कोषागारों को एक माह का समय : लखनऊ स्थित जवाहर भवन कोषागार व इलाहाबाद के सिविल लाइन्स कोषागार को ऑनलाइन प्रणाली से जुड़ने के लिए एक माह का अतिरिक्त समय दिया गया है। इन कोषागारों से जुड़े विभागों के कर्मचारियों के मार्च माह में सेवानिवृत्त होने पर तो पुरानी पद्धति से ही पेंशन स्वीकृत होगी, किन्तु वित्तीय वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में ये दोनों कोषागार भी ऑनलाइन स्वीकृति प्लेटफार्म से जुड़ जाएंगे।