मित्रों मैंने आज तक सदैव सत्य का ही साथ दिया हैं और भविष्य में भी मैं सत्य के पथ पर ही आगे चलूंगा।
मित्रों 7 दिसम्बर को आप सबकी हमारी टीम के प्रति उदासीनता के कारण मेरे खाते में प्रदेश से मात्र 4400 आर्थिक सहयोग आया..हमारी टीम के लिए नकारात्मक स्थिति थी, फिर भी हम चारों (अरशद अली, अजय ठाकुर, काव्य शर्मा, आलोक सिंह) ने निर्णय लिया कि हम पीठ दिखाकर नहीं भागेंगे..
हमने निर्णय किया कि हम 7 दिसम्बर को अपने व्यक्तिगत सहयोग से वकील खडा करेंगे..और फिर हम चारों ने अपनी क्षमता के अनुरूप 5000-10000₹ का योगदान करके कोर्ट में वकील खडा किया पर विपक्षियों व्दारा खड़े किए गए देश के टाप सीनियर वकील के आगे हमारे वकील टिक नहीं पाए। सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकीलों की स्थिति एक बकरी के समान तथा विपक्षी वकीलों की स्थिति शेर के समान हो गयी थी... बकरी और शेर की लडाई में जीत किसकी होती हैं यह आप अच्छे से जानते हैं.. परिणास्वरूप शेररूपी विपक्षी टाप वकीलों ने हमारे बकरी रूपी वकीलों का आसानी से शिकार कर डाला.. परिस्थितियां हमारे पक्ष में हो सकती थी अगर आपके कथित मसीहा ने आपके व्दारा दिए गए लाखों रूपयों में से कुछ रूपए खर्च करके एक सीनियर वकील खड़ा कर लिया होता.. पर उन्होंने तो जैसे एक सस्ते वकील का पट्टा करा रखा हैं और वे आपके लाखों रूपए आसानी से पचा गए...हमें कल एक सीनियर वकील की कमी बहुत खली।
मैं निर्णय के बाद अंदर ही अंदर बहुत रोया कि मैं धनाभाव के कारण सीनियर वकील खडा नही कर पाया।
7 दिसम्बर की तिथि का नकारात्मक फैसला सिर्फ आप सबके गलत नेतृत्व को सहयोग के चलते हुआ..पर आज आप सबकी प्रतिक्रिया देखकर मुझे ये आभास हो गया कि आप सबको ये अच्छे से पता चल गया हैं कि आप सबसे किस स्तर पर चूक हुई हैं..खैर मैं आप सबका धन्यवाद करता हूँ कि आपने सत्य को करीब से पहचाना और आज आप हमारी टीम के साथ हैं।
मित्रों सुप्रीम कोर्ट नित्य नई प्रतिक्रिया देता हैं और अब मैं अच्छे से समझ चुका हूं कि कोर्ट हमें क्या संदेश देना चाहता हैं... मैं और अजय ठाकुर अब इसी दिशा में व्यापक कदम उठाऐंगे, और सुप्रीम कोर्ट के नवीनतम पैटर्न के साथ ही चलेंगे।
कुछ लोग अभी भी मेरा नाम लेकर छाती पीट रहे हैं और मुझ पर आरोप लगाकर आपको गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं, क्यूंकि इन्हें बेईमानों की भीड़ में मुझ जैसा एक ईमानदार स्वीकार नहीं..खैर मेरे ह्दय में इनके लिए दयाभाव हैं।
मित्रों आप सबने देखा कि कल सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 1100 लोगों की औपबंधिक नियुक्ति का आदेश सरकार को दिया..मित्रों आप सबने अब तक लाखों रूपए चंदें के तौर पर दिए पर किसी ने आपको याची नहीं बनाया अगर कल तक आप याची होते तो आप भी औपबंधिक नियुक्ति में शामिल हो जाते.. मित्रों अब मैं लडाई के स्वरूप में बदलाव करूंगा, अब मेरा प्रत्येक सदस्य मेरे साथ मेरी याचिका में याची बनेगा..कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि अब याची बनने से कोई फायदा नहीं, उनके लिए सिर्फ यहीं कहूंगा कि कृपा करके मा0 दीपक मिश्रा जी का स्थान न लें.. मित्रों आप सभी का हित प्रभावित हुआ हैं और यदि 1100 को विशेष राहत मिलेगी तो मेरी याचिका के समस्त याचिकाकर्ता को भी विशेष राहत के तहत औपबंधिक नियुक्ति अवश्य मिलेगी...
मित्रों अतिशीघ्र मेरी याचिका में मेरे साथ याची बनने के लिए निम्नलिखित प्रपत्र को स्कैन करके मेरी ईमेल आईडी arshadali2011@rediffmail.com
पर भेजें-
01. हाईस्कूल अंकपत्र
02. स्नातक तृतीय वर्ष अंकपत्र
03. टेट अंक पत्र
04. वोटर आई/आधार या निवास का अन्य कोई प्रपत्र
मित्रों 7 दिसम्बर को आप सबकी हमारी टीम के प्रति उदासीनता के कारण मेरे खाते में प्रदेश से मात्र 4400 आर्थिक सहयोग आया..हमारी टीम के लिए नकारात्मक स्थिति थी, फिर भी हम चारों (अरशद अली, अजय ठाकुर, काव्य शर्मा, आलोक सिंह) ने निर्णय लिया कि हम पीठ दिखाकर नहीं भागेंगे..
हमने निर्णय किया कि हम 7 दिसम्बर को अपने व्यक्तिगत सहयोग से वकील खडा करेंगे..और फिर हम चारों ने अपनी क्षमता के अनुरूप 5000-10000₹ का योगदान करके कोर्ट में वकील खडा किया पर विपक्षियों व्दारा खड़े किए गए देश के टाप सीनियर वकील के आगे हमारे वकील टिक नहीं पाए। सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकीलों की स्थिति एक बकरी के समान तथा विपक्षी वकीलों की स्थिति शेर के समान हो गयी थी... बकरी और शेर की लडाई में जीत किसकी होती हैं यह आप अच्छे से जानते हैं.. परिणास्वरूप शेररूपी विपक्षी टाप वकीलों ने हमारे बकरी रूपी वकीलों का आसानी से शिकार कर डाला.. परिस्थितियां हमारे पक्ष में हो सकती थी अगर आपके कथित मसीहा ने आपके व्दारा दिए गए लाखों रूपयों में से कुछ रूपए खर्च करके एक सीनियर वकील खड़ा कर लिया होता.. पर उन्होंने तो जैसे एक सस्ते वकील का पट्टा करा रखा हैं और वे आपके लाखों रूपए आसानी से पचा गए...हमें कल एक सीनियर वकील की कमी बहुत खली।
मैं निर्णय के बाद अंदर ही अंदर बहुत रोया कि मैं धनाभाव के कारण सीनियर वकील खडा नही कर पाया।
7 दिसम्बर की तिथि का नकारात्मक फैसला सिर्फ आप सबके गलत नेतृत्व को सहयोग के चलते हुआ..पर आज आप सबकी प्रतिक्रिया देखकर मुझे ये आभास हो गया कि आप सबको ये अच्छे से पता चल गया हैं कि आप सबसे किस स्तर पर चूक हुई हैं..खैर मैं आप सबका धन्यवाद करता हूँ कि आपने सत्य को करीब से पहचाना और आज आप हमारी टीम के साथ हैं।
मित्रों सुप्रीम कोर्ट नित्य नई प्रतिक्रिया देता हैं और अब मैं अच्छे से समझ चुका हूं कि कोर्ट हमें क्या संदेश देना चाहता हैं... मैं और अजय ठाकुर अब इसी दिशा में व्यापक कदम उठाऐंगे, और सुप्रीम कोर्ट के नवीनतम पैटर्न के साथ ही चलेंगे।
कुछ लोग अभी भी मेरा नाम लेकर छाती पीट रहे हैं और मुझ पर आरोप लगाकर आपको गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं, क्यूंकि इन्हें बेईमानों की भीड़ में मुझ जैसा एक ईमानदार स्वीकार नहीं..खैर मेरे ह्दय में इनके लिए दयाभाव हैं।
मित्रों आप सबने देखा कि कल सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 1100 लोगों की औपबंधिक नियुक्ति का आदेश सरकार को दिया..मित्रों आप सबने अब तक लाखों रूपए चंदें के तौर पर दिए पर किसी ने आपको याची नहीं बनाया अगर कल तक आप याची होते तो आप भी औपबंधिक नियुक्ति में शामिल हो जाते.. मित्रों अब मैं लडाई के स्वरूप में बदलाव करूंगा, अब मेरा प्रत्येक सदस्य मेरे साथ मेरी याचिका में याची बनेगा..कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि अब याची बनने से कोई फायदा नहीं, उनके लिए सिर्फ यहीं कहूंगा कि कृपा करके मा0 दीपक मिश्रा जी का स्थान न लें.. मित्रों आप सभी का हित प्रभावित हुआ हैं और यदि 1100 को विशेष राहत मिलेगी तो मेरी याचिका के समस्त याचिकाकर्ता को भी विशेष राहत के तहत औपबंधिक नियुक्ति अवश्य मिलेगी...
मित्रों अतिशीघ्र मेरी याचिका में मेरे साथ याची बनने के लिए निम्नलिखित प्रपत्र को स्कैन करके मेरी ईमेल आईडी arshadali2011@rediffmail.com
पर भेजें-
01. हाईस्कूल अंकपत्र
02. स्नातक तृतीय वर्ष अंकपत्र
03. टेट अंक पत्र
04. वोटर आई/आधार या निवास का अन्य कोई प्रपत्र