इलाहाबाद (ब्यूरो)। हाईकोर्ट ने कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा
स्नातक परीक्षा का शुल्क मनमाने तरीके से बढ़ाने का आदेश रद्द कर दिया है।
हालांकि, कोर्ट ने वसूली जा चुकी अधिक फीस की वापसी का कोई आदेश नहीं दिया
है, ।
क्योंकि कोर्ट का मानना है कि यदि विश्वविद्यालय कालेजों को
फीस वापस भी कर देता है
तो कालेज इसे छात्रों को नहीं लौटाएंगे। कानपुर
विश्वविद्यालय से संबद्ध बसंत महाविद्यालय और कई अन्य कालेजों ने शुल्क
वृद्धि के विरोध में याचिका दाखिल की थी। इस पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार
गुप्ता ने सुनवाई की।
याची का कहना था कि छत्रपति साहू जी महराज विश्वविद्यालय की
कार्यपरिषद् ने बिना वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए मनमाने तरीके से
परीक्षा शुल्क बढ़ा दिया। स्नातक का परीक्षा शुल्क 250 रुपये से बढ़ाकर 685
रुपये कर दिया गया। प्रैक्टिकल की फीस अलग से 100 रुपये रखी गई है।
कार्यपरिषद ने शुल्क वृद्धि करते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
कोर्ट ने शुल्क वृद्धि संबंधी 27 सितंबर 2013 और नौ मई 2013 के आदेशों को
गलत करार देते हुए रद्द कर दिया है।
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