माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राजकीय इंटर कॉलेजों में स्नातक वेतनक्रम के शिक्षकों की भर्ती में फर्जी दस्तावेज लगाने सैकड़ों अभ्यर्थियों के खिलाफ सुबूत जुटाने की कवायद तेज कर दी है। शासन ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही पुलिस को पुख्ता सुबूत देने के निर्देश दिए हैं, ताकि अदालत से फर्जी अभ्यर्थियों को कड़ी सजा दिलाई जा सके। अब नियुक्ति पत्र दस्तावेजों के सत्यापन के बाद ही जारी किए जा रहे हैं।
पिछले करीब एक वर्ष से राजकीय इंटर कॉलेजों में 5940 रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि, विज्ञापित पदों की कुल संख्या 6645 है, लेकिन शारीरिक शिक्षा और कला वर्ग के 705 पदों को लेकर कोर्ट केस होने के कारण उन पर भर्ती की प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है। इन रिक्त पदों में से महज 1456 पर ही शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराया जा सका है। नियुक्ति पत्र 4646 जारी किए गए, पर एक ही अभ्यर्थी के एक से अधिक जगहों पर आवेदन करने या फिर दस्तावेज फर्जी पाए जाने के चलते ज्यादातर पद अभी तक रिक्त ही हैं।
जिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए हैं, उनमें से 613 के दस्तावेज फर्जी पकड़ में आ चुके हैं। इनमें से 463 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है।
अंकों में ज्यादा गैप वाले अंकपत्र संदिग्ध डाटा में
जिन अभ्यर्थियों के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में 45-55 फीसदी अंक हैं और ग्रेजुएशन की मार्कशीट में 70 फीसदी से ऊपर अंक दिखाए गए हैं, उनके दस्तावेजों को संदिग्ध डाटा की श्रेणी में रखने का फैसला किया गया है। उनके बारे में विश्वविद्यालयों से 15 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
पिछले करीब एक वर्ष से राजकीय इंटर कॉलेजों में 5940 रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि, विज्ञापित पदों की कुल संख्या 6645 है, लेकिन शारीरिक शिक्षा और कला वर्ग के 705 पदों को लेकर कोर्ट केस होने के कारण उन पर भर्ती की प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है। इन रिक्त पदों में से महज 1456 पर ही शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराया जा सका है। नियुक्ति पत्र 4646 जारी किए गए, पर एक ही अभ्यर्थी के एक से अधिक जगहों पर आवेदन करने या फिर दस्तावेज फर्जी पाए जाने के चलते ज्यादातर पद अभी तक रिक्त ही हैं।
जिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए हैं, उनमें से 613 के दस्तावेज फर्जी पकड़ में आ चुके हैं। इनमें से 463 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है।
अंकों में ज्यादा गैप वाले अंकपत्र संदिग्ध डाटा में
जिन अभ्यर्थियों के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में 45-55 फीसदी अंक हैं और ग्रेजुएशन की मार्कशीट में 70 फीसदी से ऊपर अंक दिखाए गए हैं, उनके दस्तावेजों को संदिग्ध डाटा की श्रेणी में रखने का फैसला किया गया है। उनके बारे में विश्वविद्यालयों से 15 दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है।