इलाहाबा। बाराबंकी के अनिल कुमार व फैजाबाद के विश्वनाथ सरीखे
शिक्षक नियुक्ति तारीख से प्रशिक्षित वेतनमान का लाभ पा रहे हैं। वहीं
अमेठी के सुरेश प्रताप सिंह और रायबरेली के राजेंद्र शर्मा यही लाभ पाने के
लिए सालों से दौड़ लगा रहे हैं। यह हाल महज कुछ शिक्षकों का नहीं है,
बल्कि प्रदेश भर में सर्टिफिकेट ऑफ फिजिकल एजूकेशन (सीपीएड) प्रशिक्षण
प्राप्त शिक्षक दो भागों में बंट गए हैं। आश्चर्यजनक तरीके से 40 जिलों में
शिक्षकों को लाभ दिया जा रहा है तो 35 जिलों में शिक्षक इससे वंचित हैं।
करीब चार हजार शिक्षकों को आर्थिक चपत भी लग रही है।
बेसिक शिक्षा परिषद
के स्कूलों एवं अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में एक जनवरी
1993 से 11 अगस्त 1997 के बीच सीपीएड प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को
नियुक्ति दी गई थी। इस भर्ती में सभी शिक्षकों को अप्रशिक्षित मानकर तैनाती
मिली थी और बाद में उन्हें सेवारत प्रशिक्षण दिलाया गया। नियुक्ति पाने
वाले शिक्षकों का कहना था कि शासनादेश के मुताबिक सीपीएड अभ्यर्थी सीटी
अभ्यर्थियों के बराबर हैं और सीटी की समकक्षता बीटीसी है। इसलिए उन्हें
नियुक्ति की तारीख से प्रशिक्षित वेतनमान दिया जाए। इस मामले में शिक्षा
निदेशक बेसिक दिनेश चंद्र कनौजिया ने आदेश भी जारी किया है। असर यह रहा कि
प्रदेश के बाराबंकी, सुलतानपुर, इलाहाबाद, फतेहपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़,
भदोही, बुलंदशहर, मऊ आदि करीब 40 जिलों में सीपीएड शिक्षकों को नियुक्ति
तारीख से प्रशिक्षित वेतनमान मिल रहा है। वहीं, अमेठी, चंदौली, सोनभद्र,
गाजीपुर, आगरा, बलिया, उन्नाव, लखनऊ, कानपुर नगर, कानपुर देहात समेत 35
जिलों में इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। यही नहीं रायबरेली के बेसिक शिक्षा
अधिकारी ने शिक्षकों को नियुक्ति तारीख से प्रशिक्षित वेतनमान देने का
आदेश जारी कर दिया है, लेकिन वित्त एवं लेखाधिकारी ने इसे रोक दिया है।
उन्होंने परिषद सचिव से निर्देश मांगा है। यह लाभ न मिलने का असर यह है कि
जो शिक्षक नियुक्ति तारीख से प्रशिक्षित वेतनमान पा रहे हैं और जिन्हें लाभ
नहीं मिल रहा है दोनों के बीच करीब दस हजार रुपए प्रतिमाह वेतन का अंतर
है।
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