प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली
अकैडमिक परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स (एपीआई) को लेकर यूजीसी के नोटिफिकेशन का
दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स असोसिएशन (डूटा) ने विरोध किया है। डूटा का कहना
है कि 4 मई को यूजीसी रेगुलेशंस में जो ताजा सुधार किए गए हैं, उनसे तमाम
यूनिवर्सिटीज में हजारों की तादाद में जॉब कम होंगे।
डूटा प्रेजिडेंट नंदिता नारायण का कहना है कि सिर्फ डीयू में ही इससे 5,000 टीचर्स की नौकरी पर खतरा है। हालिया अमेंडमेंट से टीचर के वर्किंग आवर में 40-50% इजाफा होगा और इतने ही नंबर में टीचिंग जॉब खत्म हो जाएंगे। डीयू के अकैडमिक्स फॉर ऐक्शन ऐंड डिवेलपमेंट (एएडी) ने भी यूजीसी गजेट से इनकार किया है। एएडी के प्रो. राजेश झा ने कहा, इस नोटिफिकेशन की वजह से हजारों की तादाद में अडहॉक टीचर्स की नौकरी चली जाएगी। हजारों टीचर्स प्रमोशन के इंतजार में हैं, उनके करियर पर भी नेगेटिव असर पड़ेगा।
डीयू के एससी, एसीटी, ओबीसी टीचर्स फोरम का भी कहना है कि यूजीसी की शिक्षक विरोधी अधिसूचना यूनिवर्सिटी का सिस्टम ठप कर देगी। फोरम के मेंबर प्रो हंसराज सुमन ने कहा कि इससे एक तिहाई टीचर्स ज्यादा हो जाएंगे, जिनकी जरूरत यूनिवर्सिटी को नहीं पड़ेगी। टीचर्स इसका विरोध करेंगे। टीचर्स का कहना है कि यह हैरानी की बात है कि पॉइंट बेस्ड परफॉर्मेंस सिस्टम की आलोचना के बावजूद यूजीसी टीचिंग क्वॉलिटी को मापने के लिए एपीआई को सपोर्ट कर रहा है।
इस सिस्टम के तहत टीचर्स की क्लासरूम परफॉर्मेंस, स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस और उनके फीडबैक पर नापी जाएगीछ। लेकिन टीचर्स का कहना है कि इससे टीचिंग-लर्निंग के माहौल पर नेगेटिव असर पड़ेगा।
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डूटा प्रेजिडेंट नंदिता नारायण का कहना है कि सिर्फ डीयू में ही इससे 5,000 टीचर्स की नौकरी पर खतरा है। हालिया अमेंडमेंट से टीचर के वर्किंग आवर में 40-50% इजाफा होगा और इतने ही नंबर में टीचिंग जॉब खत्म हो जाएंगे। डीयू के अकैडमिक्स फॉर ऐक्शन ऐंड डिवेलपमेंट (एएडी) ने भी यूजीसी गजेट से इनकार किया है। एएडी के प्रो. राजेश झा ने कहा, इस नोटिफिकेशन की वजह से हजारों की तादाद में अडहॉक टीचर्स की नौकरी चली जाएगी। हजारों टीचर्स प्रमोशन के इंतजार में हैं, उनके करियर पर भी नेगेटिव असर पड़ेगा।
डीयू के एससी, एसीटी, ओबीसी टीचर्स फोरम का भी कहना है कि यूजीसी की शिक्षक विरोधी अधिसूचना यूनिवर्सिटी का सिस्टम ठप कर देगी। फोरम के मेंबर प्रो हंसराज सुमन ने कहा कि इससे एक तिहाई टीचर्स ज्यादा हो जाएंगे, जिनकी जरूरत यूनिवर्सिटी को नहीं पड़ेगी। टीचर्स इसका विरोध करेंगे। टीचर्स का कहना है कि यह हैरानी की बात है कि पॉइंट बेस्ड परफॉर्मेंस सिस्टम की आलोचना के बावजूद यूजीसी टीचिंग क्वॉलिटी को मापने के लिए एपीआई को सपोर्ट कर रहा है।
इस सिस्टम के तहत टीचर्स की क्लासरूम परफॉर्मेंस, स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस और उनके फीडबैक पर नापी जाएगीछ। लेकिन टीचर्स का कहना है कि इससे टीचिंग-लर्निंग के माहौल पर नेगेटिव असर पड़ेगा।
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