जौनपुर। निज संवाददाता कों को स्कूल आवंटन से नाराज शिक्षकों ने बीएसए दफ्तर में खूब हंगामा किया। बीएसए के खिलाफ नारेबाजी भी की। बीएसए गजराज प्रसाद यादव ने अपने कक्ष से बाहर निकल कर मामले में सफाई दी तो भी शिक्षक नहीं मानें। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने मामला शांत कराया।
अन्तरजनपदीय स्थानांतरण के बाद जिले में आए शिक्षकों से विकल्प पत्र लिया जा रहा है। रविवार को सूची क्रमांक 251 से 504 तक के शिक्षकों को बुलाया गया था। इसके लिए सुबह जब उक्त क्रमांक के शिक्षक विकल्प पत्र भरने के लिए बीएसए दफ्तर पहुंचे तो 251 के बजाय 295 क्रमांक से शिक्षकों को स्कूल आवंटन किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इससे अन्य शिक्षक भड़क गए और बीएसए के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। बीएसए गजराज प्रसाद यादव पहले मामले को हल्के में लेते हुए अपने कक्ष से बाहर निकल कर सफाई देते रहे लेकिन शिक्षकों के तल्ख तेवर में कमी नहीं आयी तो पुलिस बुलानी पड़ी। प्रभारी निरीक्षक अरविन्द कुमार सिंह पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने शिक्षकों को समझा-बुझाकर शान्त कराया। इस संबंध में बीएसए गजराज प्रसाद यादव का कहना है कि पहले दिन की काउंसिलिंग में कुछ महिला व विकलांग अभ्यर्थी छूट गए थे उन्हें ही इसमें शामिल किया गया है। इसके चलते शिक्षकों में भ्रम फैल गया। वैसे भी महिला व विकलांगों को प्राथमिकता दी जाती है। पूरी चयन प्रक्रिया पारदर्शी है।
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अन्तरजनपदीय स्थानांतरण के बाद जिले में आए शिक्षकों से विकल्प पत्र लिया जा रहा है। रविवार को सूची क्रमांक 251 से 504 तक के शिक्षकों को बुलाया गया था। इसके लिए सुबह जब उक्त क्रमांक के शिक्षक विकल्प पत्र भरने के लिए बीएसए दफ्तर पहुंचे तो 251 के बजाय 295 क्रमांक से शिक्षकों को स्कूल आवंटन किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इससे अन्य शिक्षक भड़क गए और बीएसए के खिलाफ नारेबाजी करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। बीएसए गजराज प्रसाद यादव पहले मामले को हल्के में लेते हुए अपने कक्ष से बाहर निकल कर सफाई देते रहे लेकिन शिक्षकों के तल्ख तेवर में कमी नहीं आयी तो पुलिस बुलानी पड़ी। प्रभारी निरीक्षक अरविन्द कुमार सिंह पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने शिक्षकों को समझा-बुझाकर शान्त कराया। इस संबंध में बीएसए गजराज प्रसाद यादव का कहना है कि पहले दिन की काउंसिलिंग में कुछ महिला व विकलांग अभ्यर्थी छूट गए थे उन्हें ही इसमें शामिल किया गया है। इसके चलते शिक्षकों में भ्रम फैल गया। वैसे भी महिला व विकलांगों को प्राथमिकता दी जाती है। पूरी चयन प्रक्रिया पारदर्शी है।