लखनऊ। कार्यालय संवाददाता प्रदेश सरकार का माध्यमिक शिक्षा विभाग अब स्कूली
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर उतर आया है। इसकी ताजा नजीर
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के खोले गए नए हाईस्कूल में
सामने आई है।
करोड़ों रुपए के खर्च पर बन रहे इन स्कूलों में 9वीं व 10वीं कक्षाओं का संचालन शुरू हो गया है। बच्चे बोर्ड परीक्षा की कक्षाओं में पहुंच चुके हैं लेकिन चौंकाने वाली बात है कि अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे अहम विषयों के शिक्षक तक इन स्कूलों में उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। एक-एक टीचर के सहारे पूरा स्कूल चल रहा है। कागज में स्कूल, अपनी भवन तक नहीं : आरएमएसए के तहत शैक्षिक सत्र 2015-16 में राजधानी में 15 नए राजकीय हाईस्कूलों की शुरुआत की गई थी। यहां नौंवी व दसवीं की कक्षाएं संचालित होती हैं। अभी तक इन स्कूलों के पास अपना कोई भवन ही नहीं है। ये क्षेत्र के अपर प्राइमरी स्कूल के भवन में चलते हैं। राजकीय हाईस्कूल बीबीपुर में राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज के गणित के एक शिक्षक अंग्रेजी, हिन्दी समेत सभी दूसरे विषय भी पढ़ा रहे हैं। (बॉक्स)इन स्कूलों पर है संकट राजकीय हाईस्कूल पलेहन्दा सरोजनीनगर, राजकीय हाईस्कूल बीबीपुर बीकेटी, राजकीय हाईस्कूल रसूलपुर सआदात बीकेटी, राजकीय हाईस्कूल बेहटा बीकेटी, राजकीय हाईस्कूल मवई सरोजनीनगर, राजकीय हाईस्कूल मस्तीपुर, राजकीय हाईस्कूल धनुवासांड, राजकीय हाईस्कूल मलहा, राजकीय हाईस्कूल जौरिया, राजकीय हाईस्कूल सुरियामऊ समेत अन्य। (बॉक्स)मॉडल स्कूल की मान्यता तक नहीं शिक्षा विभाग ने मॉडल स्कूल तो शुरू कर दिए लेकिन मानक न पूरे होने के कारण अभी तक इन स्कूलों को सीबीएसई से मान्यता नहीं मिल पाई है। हैरानी की बात है कि मान्यता न होने के बावजूद इन्होंने सैकड़ों बच्चों के नौंवी कक्षा में दाखिले ले रखे हैं। यदि समय पर मान्यता नहीं मिली तो इन बच्चों का एक साल बर्बाद होना तय है। (बॉक्स) सीधी बात : निदेशक कह रहे, ‘ चिंता न करें सब हो जाएगा हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर हैं। साल बर्बाद हो रहा है लेकिन जिम्मेदारों को इसमें कोई परेशानी नजर नहीं आती। माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमरनाथ वर्मा से सीधी बात : सवाल : आरएमएसए में इतने स्कूल खोले गए। सालों बाद भी टीचर क्यों नहीं दे सके हैं? जवाब : सरकार चाहती थी कि जहां स्कूल नहीं हैं वहां इनकी शुरुआत की जाए। तो शुरू कर दिए गए हैं। स्कूल खुल गए हैं। तो टीचर भी आ जाएंगे। सवाल : सिर्फ कागज में स्कूल हैं। न बिल्डिंग है। न टीचर हैं। प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग में चलाए जा रहे हैं। क्यों? जवाब : स्कूल खुल गया। अब पैसा आया है तो बिल्डिंग भी बन जाएगा। टीचर की भर्ती भी की जाएगी। सवाल: 9वीं,10वीं की कक्षाएं आज चल रही हैं। टीचर न होने के कारण आज भविष्य बर्बाद हो रहा है। जवाब : फिलहाल, जैसे चल रहा है ठीक है। ये कोई अनियमितता नहीं है। सब हो जाएगा। हम कोशिश कर रहे हैं। सवाल: निजी स्कूल की मान्यता के कई नियम हैं तो सरकारी में क्यों नहीं?जवाब : नियम वहां भी हैं। लेकिन यहां सरकार ने कमिटमेंट किया है। अब एक निजी व्यक्ति और एक सरकार के कमिटमेंट में तो अंदर होगा ही न। सवाल : मॉडल स्कूल की मान्यता भी फंसी है। तो दाखिले क्यों ले लिए गए? जवाब : 9वीं में दाखिले लिए गए हैं। हम लगे हुए हैं। कुछ काम हो भी गया है। कुछ बाकी है। उसे भी जल्दी करा मान्यता प्राप्त कर ली जाएगी।
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करोड़ों रुपए के खर्च पर बन रहे इन स्कूलों में 9वीं व 10वीं कक्षाओं का संचालन शुरू हो गया है। बच्चे बोर्ड परीक्षा की कक्षाओं में पहुंच चुके हैं लेकिन चौंकाने वाली बात है कि अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे अहम विषयों के शिक्षक तक इन स्कूलों में उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। एक-एक टीचर के सहारे पूरा स्कूल चल रहा है। कागज में स्कूल, अपनी भवन तक नहीं : आरएमएसए के तहत शैक्षिक सत्र 2015-16 में राजधानी में 15 नए राजकीय हाईस्कूलों की शुरुआत की गई थी। यहां नौंवी व दसवीं की कक्षाएं संचालित होती हैं। अभी तक इन स्कूलों के पास अपना कोई भवन ही नहीं है। ये क्षेत्र के अपर प्राइमरी स्कूल के भवन में चलते हैं। राजकीय हाईस्कूल बीबीपुर में राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज के गणित के एक शिक्षक अंग्रेजी, हिन्दी समेत सभी दूसरे विषय भी पढ़ा रहे हैं। (बॉक्स)इन स्कूलों पर है संकट राजकीय हाईस्कूल पलेहन्दा सरोजनीनगर, राजकीय हाईस्कूल बीबीपुर बीकेटी, राजकीय हाईस्कूल रसूलपुर सआदात बीकेटी, राजकीय हाईस्कूल बेहटा बीकेटी, राजकीय हाईस्कूल मवई सरोजनीनगर, राजकीय हाईस्कूल मस्तीपुर, राजकीय हाईस्कूल धनुवासांड, राजकीय हाईस्कूल मलहा, राजकीय हाईस्कूल जौरिया, राजकीय हाईस्कूल सुरियामऊ समेत अन्य। (बॉक्स)मॉडल स्कूल की मान्यता तक नहीं शिक्षा विभाग ने मॉडल स्कूल तो शुरू कर दिए लेकिन मानक न पूरे होने के कारण अभी तक इन स्कूलों को सीबीएसई से मान्यता नहीं मिल पाई है। हैरानी की बात है कि मान्यता न होने के बावजूद इन्होंने सैकड़ों बच्चों के नौंवी कक्षा में दाखिले ले रखे हैं। यदि समय पर मान्यता नहीं मिली तो इन बच्चों का एक साल बर्बाद होना तय है। (बॉक्स) सीधी बात : निदेशक कह रहे, ‘ चिंता न करें सब हो जाएगा हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर हैं। साल बर्बाद हो रहा है लेकिन जिम्मेदारों को इसमें कोई परेशानी नजर नहीं आती। माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमरनाथ वर्मा से सीधी बात : सवाल : आरएमएसए में इतने स्कूल खोले गए। सालों बाद भी टीचर क्यों नहीं दे सके हैं? जवाब : सरकार चाहती थी कि जहां स्कूल नहीं हैं वहां इनकी शुरुआत की जाए। तो शुरू कर दिए गए हैं। स्कूल खुल गए हैं। तो टीचर भी आ जाएंगे। सवाल : सिर्फ कागज में स्कूल हैं। न बिल्डिंग है। न टीचर हैं। प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग में चलाए जा रहे हैं। क्यों? जवाब : स्कूल खुल गया। अब पैसा आया है तो बिल्डिंग भी बन जाएगा। टीचर की भर्ती भी की जाएगी। सवाल: 9वीं,10वीं की कक्षाएं आज चल रही हैं। टीचर न होने के कारण आज भविष्य बर्बाद हो रहा है। जवाब : फिलहाल, जैसे चल रहा है ठीक है। ये कोई अनियमितता नहीं है। सब हो जाएगा। हम कोशिश कर रहे हैं। सवाल: निजी स्कूल की मान्यता के कई नियम हैं तो सरकारी में क्यों नहीं?जवाब : नियम वहां भी हैं। लेकिन यहां सरकार ने कमिटमेंट किया है। अब एक निजी व्यक्ति और एक सरकार के कमिटमेंट में तो अंदर होगा ही न। सवाल : मॉडल स्कूल की मान्यता भी फंसी है। तो दाखिले क्यों ले लिए गए? जवाब : 9वीं में दाखिले लिए गए हैं। हम लगे हुए हैं। कुछ काम हो भी गया है। कुछ बाकी है। उसे भी जल्दी करा मान्यता प्राप्त कर ली जाएगी।
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