मैनपुरी: जिलाधिकारी ने सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग की बैठक में
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को बुलाकर खूब खरी-खरी सुनाई। उनकी बात भी जायज
थी। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा की दुर्दशा के लिए शिक्षक ही जिम्मेदार
हैं। शिक्षक अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाएं।
विद्यालय निर्धारित समय सुबह 8.00 बजे खुला मिले। बच्चों का नामांकन बढ़ाएं। बच्चों की उपस्थिति सुधारी जाए। शिक्षक अपने दायित्वों से मुंह नहीं मोड़ सकते।
बैठक में डीएम लोकेश एम ने कहा कि शिक्षकों को शैक्षिक वातावरण सुधार कर बच्चों को बेसिक जानकारी देनी होगी। गांव के गरीब बच्चों को शिक्षित करने का दायित्व बेसिक शिक्षकों का है। बेसिक शिक्षा की दुर्दशा के लिए शिक्षक जिम्मेदार हैं। प्राइवेट स्कूल के शिक्षक 3-4 हजार रुपये महीने में जी तोड़ मेहनत कर बच्चों को पढ़ाते हैं, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापक 30-40 हजार रुपये वेतन लेने के बाद भी नहीं पढ़ाते हैं। शासन के निर्देशों के बावजूद अभिभावकों के साथ मासिक बैठक नहीं करते। बच्चों की उपस्थिति सुधारने के लिए कोई काम नहीं करते। पिछले दिनों 20 विद्यालयों के भ्रमण में जब तक उपस्थिति नहीं सुधरेगी नामांकन नहीं बढ़ेंगे तब तक किसी भी अध्यापक का वेतन आहरित नहीं होगा।
डीएम ने इस बैठक में संबंधित 20 विद्यालयों के समस्त स्टाफ को बुलाया था। जिसमें 16 निलंबित एवं 35 वह शिक्षक भी उपस्थित थे जिनका वेतन रोका गया है। उन्होंने शिक्षकों से सीधे संवाद करते हुए पूछा कि आपके बच्चे किस स्कूल में पढ़ते हैं इस पर अधिकांश ने कहा कि कांवेंट में। उन्होंने कहा कि आप घर पर अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देते हैं उन्हें होमवर्क कराते है तो फिर गरीब बच्चों की पढ़ाई की फिक्र क्यों नहीं। विद्यालय के रखरखाव की ¨चता क्यों नहीं। इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं था। उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षकों की उदासीनता के कारण गांव के गरीब बच्चे शिक्षा पाने से वंचित हो रहे हैं। विद्यालय में पढ़ाई का माहौल ही नहीं है। शिक्षक राष्ट्र के निर्माण में रुचि न लेकर नेतागिरी कर रहे हैं। विद्यालय समय में कोई न कोई समस्या लेकर मुख्यालय घूमते रहते हैं। अकारण कलक्ट्रेट आकर नेतागिरी करते हैं। शिक्षक आचरण सुधारें अन्यथा दंडात्मक कार्रवाई को तैयार रहें।
बंद विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा समाप्त को लिखा जाएगा
डीएम ने कहा कि शिक्षक निलंबित होकर सुकून में रहते हैं। 4-6 महीने आधा वेतन मुफ्त में लेते हैं और बाद में बीएसए, एबीएसए को भेंट चढ़ाकर बहाल होकर पूरा वेतन लेते हैं। नेतागीरी कराकर शहर के आसपास तैनाती करा लेते हैं। गांव के विद्यालयो में अध्यापकों की कमी है और शहर के करीब के विद्यालयों में मानक से अधिक शिक्षक तैनात हैं। कई विद्यालयों में तो 10-12 छात्रों पर 5 से 7 टीचर तैनात हैं। यह स्थिति शर्मनाक है। उन्होंने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि निरीक्षण में जो विद्यालय बंद मिले हैं उनके शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने हेतु सचिव बेसिक शिक्षा को लिखा जाएगा।
शहर में स्कूल चलो, गांव में विद्यालय बंद करो
डीएम ने बेसिक शिक्षा विभाग की उदासीनता पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में इन दिनों नया नारा चल गया है। शहर में स्कूल चलो और गांव में विद्यालय बंद करो। अब यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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विद्यालय निर्धारित समय सुबह 8.00 बजे खुला मिले। बच्चों का नामांकन बढ़ाएं। बच्चों की उपस्थिति सुधारी जाए। शिक्षक अपने दायित्वों से मुंह नहीं मोड़ सकते।
बैठक में डीएम लोकेश एम ने कहा कि शिक्षकों को शैक्षिक वातावरण सुधार कर बच्चों को बेसिक जानकारी देनी होगी। गांव के गरीब बच्चों को शिक्षित करने का दायित्व बेसिक शिक्षकों का है। बेसिक शिक्षा की दुर्दशा के लिए शिक्षक जिम्मेदार हैं। प्राइवेट स्कूल के शिक्षक 3-4 हजार रुपये महीने में जी तोड़ मेहनत कर बच्चों को पढ़ाते हैं, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापक 30-40 हजार रुपये वेतन लेने के बाद भी नहीं पढ़ाते हैं। शासन के निर्देशों के बावजूद अभिभावकों के साथ मासिक बैठक नहीं करते। बच्चों की उपस्थिति सुधारने के लिए कोई काम नहीं करते। पिछले दिनों 20 विद्यालयों के भ्रमण में जब तक उपस्थिति नहीं सुधरेगी नामांकन नहीं बढ़ेंगे तब तक किसी भी अध्यापक का वेतन आहरित नहीं होगा।
डीएम ने इस बैठक में संबंधित 20 विद्यालयों के समस्त स्टाफ को बुलाया था। जिसमें 16 निलंबित एवं 35 वह शिक्षक भी उपस्थित थे जिनका वेतन रोका गया है। उन्होंने शिक्षकों से सीधे संवाद करते हुए पूछा कि आपके बच्चे किस स्कूल में पढ़ते हैं इस पर अधिकांश ने कहा कि कांवेंट में। उन्होंने कहा कि आप घर पर अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देते हैं उन्हें होमवर्क कराते है तो फिर गरीब बच्चों की पढ़ाई की फिक्र क्यों नहीं। विद्यालय के रखरखाव की ¨चता क्यों नहीं। इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं था। उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षकों की उदासीनता के कारण गांव के गरीब बच्चे शिक्षा पाने से वंचित हो रहे हैं। विद्यालय में पढ़ाई का माहौल ही नहीं है। शिक्षक राष्ट्र के निर्माण में रुचि न लेकर नेतागिरी कर रहे हैं। विद्यालय समय में कोई न कोई समस्या लेकर मुख्यालय घूमते रहते हैं। अकारण कलक्ट्रेट आकर नेतागिरी करते हैं। शिक्षक आचरण सुधारें अन्यथा दंडात्मक कार्रवाई को तैयार रहें।
बंद विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा समाप्त को लिखा जाएगा
डीएम ने कहा कि शिक्षक निलंबित होकर सुकून में रहते हैं। 4-6 महीने आधा वेतन मुफ्त में लेते हैं और बाद में बीएसए, एबीएसए को भेंट चढ़ाकर बहाल होकर पूरा वेतन लेते हैं। नेतागीरी कराकर शहर के आसपास तैनाती करा लेते हैं। गांव के विद्यालयो में अध्यापकों की कमी है और शहर के करीब के विद्यालयों में मानक से अधिक शिक्षक तैनात हैं। कई विद्यालयों में तो 10-12 छात्रों पर 5 से 7 टीचर तैनात हैं। यह स्थिति शर्मनाक है। उन्होंने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि निरीक्षण में जो विद्यालय बंद मिले हैं उनके शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने हेतु सचिव बेसिक शिक्षा को लिखा जाएगा।
शहर में स्कूल चलो, गांव में विद्यालय बंद करो
डीएम ने बेसिक शिक्षा विभाग की उदासीनता पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग में इन दिनों नया नारा चल गया है। शहर में स्कूल चलो और गांव में विद्यालय बंद करो। अब यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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