ललितपुर। अब छात्र-छात्राओं के नामांकन के नाम पर
फर्जीबाड़ा नहीं चल सकेगा। शासन ने विद्यालयों में कक्षा एक से इंटर तक की
पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं का डाटा ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है। इस
दौरान अभिभावकों का नाम, आधार कार्ड नंबर व बैंक खाता नंबर आदि की फीडिंग
की जाएगी।
छह से चौदह वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को
कक्षा एक से आठ तक की शिक्षा मुहैया कराने के मकसद से सर्व शिक्षा अभियान
चलाया जा रहा है। करीब दो लाख बच्चे परिषदीय स्कूलों में नामांकित हैं। इसी
तरह राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत कक्षा छह से इंटर तक की
शिक्षा में लगभग साठ हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। अब शासन ने छात्रांकन
में आंकड़ों की गड़बड़ी को रोकने के उद्देश्य से छात्र-छात्राओं का डेटा
ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है।
योजनांतर्गत छात्र-छात्राओं की कक्षा, आधार कार्ड नंबर, बैंक खाता संख्या, बैंक का नाम, माता-पिता का नाम की सूचना संकलित की जा रही है। विद्यालयों से छात्र-छात्राओं का ब्योरा एकत्रित होने के पश्चात उसे शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन किया जाएगा, जिससे योजनाओं की धनराशि का सही इस्तेमाल हो सके। सबसे ज्यादा गड़बड़झाला परिषदीय विद्यालयों के छात्रांकन में है। तमाम बच्चे निजी विद्यालयों के साथ परिषदीय स्कूलों में नामांकित हैं। यह तथ्य अफसरों के निरीक्षण में कई बार उजागर हो चुके हैं।
बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि परिषदीय विद्यालयों में दर्जनों बच्चे नि:शुल्क पुस्तकें, यूनिफार्म व छात्रवृत्ति लेने के लिए नामांकन कराए हैं। जहां तक शिक्षा की बात है तो वह निजी विद्यालयों में पढ़ रहे हैं। माध्यमिक विद्यालयों का हाल जुदा नहीं है। यहां के तमाम विद्यार्थी व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों में भी नामांकन करा लेते हैं, जिससे शासन की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। छात्रों का डाटा ऑनलाइन होने से नामांकन में हेराफेरी पर अंकुश लगने की उम्मीद है।
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योजनांतर्गत छात्र-छात्राओं की कक्षा, आधार कार्ड नंबर, बैंक खाता संख्या, बैंक का नाम, माता-पिता का नाम की सूचना संकलित की जा रही है। विद्यालयों से छात्र-छात्राओं का ब्योरा एकत्रित होने के पश्चात उसे शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन किया जाएगा, जिससे योजनाओं की धनराशि का सही इस्तेमाल हो सके। सबसे ज्यादा गड़बड़झाला परिषदीय विद्यालयों के छात्रांकन में है। तमाम बच्चे निजी विद्यालयों के साथ परिषदीय स्कूलों में नामांकित हैं। यह तथ्य अफसरों के निरीक्षण में कई बार उजागर हो चुके हैं।
बुद्धिजीवी वर्ग का मानना है कि परिषदीय विद्यालयों में दर्जनों बच्चे नि:शुल्क पुस्तकें, यूनिफार्म व छात्रवृत्ति लेने के लिए नामांकन कराए हैं। जहां तक शिक्षा की बात है तो वह निजी विद्यालयों में पढ़ रहे हैं। माध्यमिक विद्यालयों का हाल जुदा नहीं है। यहां के तमाम विद्यार्थी व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों में भी नामांकन करा लेते हैं, जिससे शासन की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। छात्रों का डाटा ऑनलाइन होने से नामांकन में हेराफेरी पर अंकुश लगने की उम्मीद है।