आज हुई महत्वपूर्ण सुनवाई को संक्षिप्त
रूप में तो आप सभी को अवगत करा ही दिया था। जैसि कि आप सभी को जानकारी है कि
आज सुबह माननीय न्यायधीश दीपक मिश्रा जी व् पंत साहब की कोर्ट में
शिक्षामित्रों का मामला था जिस पर आज मात्र 1 मिनट ही सुनवाई हुई और उसे भी
माननीय न्यायधीश दीपक मिश्र जी व् यू यू ललित जी की विशेष अदालत में भेज
दिया गया।
यह केस 2 बजे से सुना जाना था, हम सभी लोग 1:30पर ही कोर्ट में प्रवेश कर चुके थे। दोनों न्यायधीश 2:15pm पर कोर्ट रूम 4में आये और सुनवाई प्रारम्भ हुई।
सुरुआत में सरकार की तरफ से एडवोकेट ने अपना पक्ष रखा जिसमें उन्होंने शिक्षामित्र के पक्ष में बहस की। इस पर आनंद नंदन, अरविन्द श्रीवास्तव, आदि एडवोकेट्स ने सरकार का विरोध किया। दोनों ही तरफ के एड्वोकेट अपना-अपना पक्ष रख रहे थे। एक पल को अरविन्द श्रीवास्तव पूर्ण समायोजन का रास्ता बना ही दिए थे कि वह कुछ अटक गए(यहाँ इस मुद्दे पर एक अच्छे सीनियर की कमी खली) और इसके कुछ देर बाद ही बहस अपनी प्रमुख SLP 4347-4347/14 पर आ गयी और दोनों न्यायधीश ने कुछ देर आपस में चर्चा की और 2नवम्बर के अपने आदेश की प्रगति रिपोर्ट पूछी। सरकार की तरफ से एड्वोकेट तथा सचिव संजय सिन्हा (डी बी शर्मा जी तो हम लोगों के बीच फंसे हुए थे) ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। इनके अनुसार.....
72,825पदों के सापेक्ष 58,135अभ्यर्थियों की नियुक्तियां विभाग द्वारा पूरी कर ली गयी है और रिक्त पदों के सापेक्ष कुल लगभग 75,000+ प्राप्त हुए प्रत्यावेदन के बाद गठित कमेटी द्वारा 12,091 प्रत्यावेदन (अभ्यर्थियों) को अध्यापक पद हेतु सभी अहर्ताओं को पूरा करते हुए योग्य पाया है। इस पर दीपक मिश्रा जी ने पेन्सिल पेपर पर हिसाब लगाया (लगभग 58000 भर गए, 12000ये रिपोर्ट में है मतलब 70000 हो गए और कुल पदों के अनुसार लगभग 3000शेष है।) साथ ही वह यह भी देख रहे थे कि पूरा कोर्ट रूम एडवोकेट्स से तथा पीछे हम लोगों जो सुनने आया हुआ है से भरा हुआ है। जितने एड्वोकेट है उतने ही मुद्दे है। इस पर उन्होंने व् गुणांक मेरिट के सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी के बोलने के बाद कोर्ट रूम में उपस्तिथ सभी एडवोकेट्स से उनके पिटीसनर/रेस्पोंडेंट की संख्या को पूछना सुरु कर दिया और उनको अपने पेपर पर नोट करने लगे।
जैसी की सभी एडवोकेट्स ने अपनी-अपनी SLP की संख्या बताई वह कुल संख्या लगभग 1,100 रही। इस पर दीपक मिश्रा जी ने सरकार को आदेश दिया कि शेष लगभग 3,000 रिक्त पदों में इन सभी को एडोक पर नियुक्ति दे दी जाये।
(कोर्ट द्वारा ऐसा करने में यहां मैं मयंक तिवारी यह समझता हूँ यह इसलिए किया गया है क्योकि इस मुद्दे पर इतने विवाद हो गए है कि इनके याचिकाकर्ताओं को ही जॉब दे दो तो फिर विवाद ही खत्म)
शेष बीच-बीच में अन्य चर्चाएं भी हुई और फिर "प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011" के 72,825पदों पर टेट मेरिट (12वें संशोधन) तथा न्यूनतम कट ऑफ़ 70%(105) अनारक्षित तथा 60%(90) आरक्षित वर्ग की सीमा के साथ ही अभ्यर्थियों के चयन का आदेश लिखवाना प्रारम्भ किया। जैसाकि हमने अपनी वरिष्ठ ऐ ओ आर को ब्रीफ किया था कि आदेश जब लिखना प्ररम्भ हो आप हमारे मुद्दों पर बोलना प्रारम्भ कर देना उन्होंने ऐसा ही किया और कोर्ट से कहा कि आपके बार-बार कहने के बाद भी सरकार द्वारा डेटा ऑनलाइन/वेबसाइट पर नही लाया जा रहा है। इस पर जज साहब ने सरकार को बहुत तेज डाँटते हुए कहा कि मेम हर बार बोल रही है इस बार आपने नही किया तो.........., फिर आदेश में सप्तांत डेटा ऑनलाइन करते रहने का आदेश दिया।
इसके बाद लगभग सभी एड्वोकेट व् सुनने आये अभ्यर्थी कोर्ट रूम से जाने लगे पर सुनवाई जारी रही। सरकार ने कहा कि यदि शिक्षामित्र बाहर हो जायेंगे तो तत्काल में विद्यालयों की शिक्षा वाधित हो जायेगी इस पर अंत में सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई होने तक 12 सितम्बर के हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। अब सभी सम्बंधित मामलों की अगली सुनवाई 24फ़रवरी 2016 को होगी। सुनवाई पूर्ण न होने पर 25 फ़रवरी में भी जारी रहेगी।
इन्ही शब्दों के साथ आपका मयंक तिवारी टेट संघर्ष मोर्चा उत्तर प्रदेश
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
यह केस 2 बजे से सुना जाना था, हम सभी लोग 1:30पर ही कोर्ट में प्रवेश कर चुके थे। दोनों न्यायधीश 2:15pm पर कोर्ट रूम 4में आये और सुनवाई प्रारम्भ हुई।
सुरुआत में सरकार की तरफ से एडवोकेट ने अपना पक्ष रखा जिसमें उन्होंने शिक्षामित्र के पक्ष में बहस की। इस पर आनंद नंदन, अरविन्द श्रीवास्तव, आदि एडवोकेट्स ने सरकार का विरोध किया। दोनों ही तरफ के एड्वोकेट अपना-अपना पक्ष रख रहे थे। एक पल को अरविन्द श्रीवास्तव पूर्ण समायोजन का रास्ता बना ही दिए थे कि वह कुछ अटक गए(यहाँ इस मुद्दे पर एक अच्छे सीनियर की कमी खली) और इसके कुछ देर बाद ही बहस अपनी प्रमुख SLP 4347-4347/14 पर आ गयी और दोनों न्यायधीश ने कुछ देर आपस में चर्चा की और 2नवम्बर के अपने आदेश की प्रगति रिपोर्ट पूछी। सरकार की तरफ से एड्वोकेट तथा सचिव संजय सिन्हा (डी बी शर्मा जी तो हम लोगों के बीच फंसे हुए थे) ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। इनके अनुसार.....
72,825पदों के सापेक्ष 58,135अभ्यर्थियों की नियुक्तियां विभाग द्वारा पूरी कर ली गयी है और रिक्त पदों के सापेक्ष कुल लगभग 75,000+ प्राप्त हुए प्रत्यावेदन के बाद गठित कमेटी द्वारा 12,091 प्रत्यावेदन (अभ्यर्थियों) को अध्यापक पद हेतु सभी अहर्ताओं को पूरा करते हुए योग्य पाया है। इस पर दीपक मिश्रा जी ने पेन्सिल पेपर पर हिसाब लगाया (लगभग 58000 भर गए, 12000ये रिपोर्ट में है मतलब 70000 हो गए और कुल पदों के अनुसार लगभग 3000शेष है।) साथ ही वह यह भी देख रहे थे कि पूरा कोर्ट रूम एडवोकेट्स से तथा पीछे हम लोगों जो सुनने आया हुआ है से भरा हुआ है। जितने एड्वोकेट है उतने ही मुद्दे है। इस पर उन्होंने व् गुणांक मेरिट के सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी के बोलने के बाद कोर्ट रूम में उपस्तिथ सभी एडवोकेट्स से उनके पिटीसनर/रेस्पोंडेंट की संख्या को पूछना सुरु कर दिया और उनको अपने पेपर पर नोट करने लगे।
जैसी की सभी एडवोकेट्स ने अपनी-अपनी SLP की संख्या बताई वह कुल संख्या लगभग 1,100 रही। इस पर दीपक मिश्रा जी ने सरकार को आदेश दिया कि शेष लगभग 3,000 रिक्त पदों में इन सभी को एडोक पर नियुक्ति दे दी जाये।
(कोर्ट द्वारा ऐसा करने में यहां मैं मयंक तिवारी यह समझता हूँ यह इसलिए किया गया है क्योकि इस मुद्दे पर इतने विवाद हो गए है कि इनके याचिकाकर्ताओं को ही जॉब दे दो तो फिर विवाद ही खत्म)
शेष बीच-बीच में अन्य चर्चाएं भी हुई और फिर "प्रशिक्षु शिक्षक चयन 2011" के 72,825पदों पर टेट मेरिट (12वें संशोधन) तथा न्यूनतम कट ऑफ़ 70%(105) अनारक्षित तथा 60%(90) आरक्षित वर्ग की सीमा के साथ ही अभ्यर्थियों के चयन का आदेश लिखवाना प्रारम्भ किया। जैसाकि हमने अपनी वरिष्ठ ऐ ओ आर को ब्रीफ किया था कि आदेश जब लिखना प्ररम्भ हो आप हमारे मुद्दों पर बोलना प्रारम्भ कर देना उन्होंने ऐसा ही किया और कोर्ट से कहा कि आपके बार-बार कहने के बाद भी सरकार द्वारा डेटा ऑनलाइन/वेबसाइट पर नही लाया जा रहा है। इस पर जज साहब ने सरकार को बहुत तेज डाँटते हुए कहा कि मेम हर बार बोल रही है इस बार आपने नही किया तो.........., फिर आदेश में सप्तांत डेटा ऑनलाइन करते रहने का आदेश दिया।
इसके बाद लगभग सभी एड्वोकेट व् सुनने आये अभ्यर्थी कोर्ट रूम से जाने लगे पर सुनवाई जारी रही। सरकार ने कहा कि यदि शिक्षामित्र बाहर हो जायेंगे तो तत्काल में विद्यालयों की शिक्षा वाधित हो जायेगी इस पर अंत में सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई होने तक 12 सितम्बर के हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। अब सभी सम्बंधित मामलों की अगली सुनवाई 24फ़रवरी 2016 को होगी। सुनवाई पूर्ण न होने पर 25 फ़रवरी में भी जारी रहेगी।
इन्ही शब्दों के साथ आपका मयंक तिवारी टेट संघर्ष मोर्चा उत्तर प्रदेश
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