इलाहाबाद: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को टीईटी पास अभ्यर्थियों और शिक्षामित्रों के
केस को अलग-अलग कर दिया है। बता दें कि अभी तक इन दोनों मामलों को लेकर एक
साथ कार्रवाई हो रही थी। आपका बताते चलें कि 72000 टीईटी अभ्यर्थियों के
मामले में अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी जबकि 137000 शिक्षामित्रों के
मामले में अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी।
खास बात यह है कि शिक्षामित्रों को 23 नवंबर यानी अगली सुनवाई तक वेतन सहित सभी सुविधाएं मिलती रहेगी। उत्तर प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को तकरीबन पौने दो लाख शिक्षामित्रों की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए नियुक्तियों को रद्द करने के आदेश दिए थे।
इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। नियुक्तियों को रद्द करने के विरोध में तर्क देते हुए राज्य सरकार ने दलील दी थी कि शिक्षकों की कमी की वजह से ही शिक्षामित्रों की भर्ती की गई थी। सुप्रीम कोर्ट पिछले साल से ही इस मामले में सुनवाई कर रहा है। दिसंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि अब किसी को अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी और केस में अंतिम बहस होगी। कोर्ट के आदेश के बाद पिछले साल 1,37,000 शिक्षामित्रों को समायोजित कर उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया है। शिक्षामित्रों की तरफ से पेश वकील मीनेश दुबे की दलील है कि जो छात्र टीईटी (शिक्षक अर्हता परीक्षा) पास हैं, उन्हें नौकरी से नहीं हटाया जा सकता।
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
खास बात यह है कि शिक्षामित्रों को 23 नवंबर यानी अगली सुनवाई तक वेतन सहित सभी सुविधाएं मिलती रहेगी। उत्तर प्रदेश के एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2015 को तकरीबन पौने दो लाख शिक्षामित्रों की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए नियुक्तियों को रद्द करने के आदेश दिए थे।
इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। नियुक्तियों को रद्द करने के विरोध में तर्क देते हुए राज्य सरकार ने दलील दी थी कि शिक्षकों की कमी की वजह से ही शिक्षामित्रों की भर्ती की गई थी। सुप्रीम कोर्ट पिछले साल से ही इस मामले में सुनवाई कर रहा है। दिसंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
इससे पहले पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि अब किसी को अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी और केस में अंतिम बहस होगी। कोर्ट के आदेश के बाद पिछले साल 1,37,000 शिक्षामित्रों को समायोजित कर उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया है। शिक्षामित्रों की तरफ से पेश वकील मीनेश दुबे की दलील है कि जो छात्र टीईटी (शिक्षक अर्हता परीक्षा) पास हैं, उन्हें नौकरी से नहीं हटाया जा सकता।
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